150 परिषदीय स्कूलों में किचन गार्डन से बन रहा मिड-डे मील


इटावा : बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित 1,484 में से 150 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें पिछले वर्ष किचन गार्डन (पोषण वाटिका) तैयार किए गए थे। इनमें उगाई जाने वाली ताजी हरी सब्जियों का स्वाद बच्चे मेन्यू मुताबिक लेते हैं। किचन गार्डन तैयार करने के लिए प्रति स्कूल पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्राविधान है। शिक्षक ही इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालते हैं। सहज रूप से उगने वाले सहजन और करी पत्ता की पैदावार को प्राथमिकता दी जाती है और इनसे सब्जियों को स्वादिष्ट बनाया जाता है।


शासन की ओर से परिषदीय स्कूलों के बच्चों को मिड-डे मील में हरी ताजी मौसमी सब्जियां परोसने के लिए योजना बनाई थी। इस योजना में ऐसे स्कूलों का चयन करने के आदेश दिए थे, जहां बच्चों की संख्या अधिक है, साथ ही पर्याप्त जमीन भी उपलब्ध है। इस आदेश के परिप्रेक्ष्य में जनपद भर में स्कूलों का चयन करने का निर्देश खंड शिक्षा अधिकारियों को दिया गया था। खंड शिक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद किचन गार्डन बनाने के लिए स्कूलों का चयन किया गया। इनमें खासतौर पर मौसमी हरी सब्जी को शामिल किया गया

है। किचन गार्डन को बनाए जाने के लिए ऐसे स्कूलों का चयन किया गया, जहां पर सब्जियों को आसानी से उगाया जा सके। इसके लिए ग्रामीण इलाकों के स्कूलों को खासतौर से प्राथमिकता दी गई है। स्कूलों के प्रधानाध्यापक और शिक्षकों ने सब्जियों को उगाने के लिए आसपास के ग्रामीणों का सहयोग लिया है। वे किचन गार्डन में उगने वाली सब्जियों के ब्यौरा के साथ हर माह रिपोर्ट विभाग को भेजते हैं।


परिषदीय विद्यालयों के किचन गार्डन में ये उगाई जाती हैं सब्जियां

किचन गार्डन में भिंडी, पालक, लौकी, करेला, खीरा, कद्दू, बैगन, शलजम, गाजर, मूली, सेम, तुरई, टमाटर, मटर, मिर्च, गोभी और करमकल्ला, बथुआ, प्याज, लहसुन, चुकंदर आदि सब्जियां उगाई जाती हैं। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल 20 गुणा 10 मीटर, और शहरी क्षेत्र के स्कूलों में पर्याप्त जगह की उपलब्धता न होने से 10 गुणा 10 मीटर क्षेत्रफल में किचन गार्डन विकसित करने का प्राविधान है।


किचन गार्डन में मौसमी सब्जियां उगाई जा रही हैं। इनका प्रयोग मिड- डे मील में प्रयुक्त होने वाली सब्जियों के लिए किया जा रहा है। परिषदीय स्कूलों में किचन गार्डन बनाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग से संबंधित स्कूल को पांच हजार रुपये दिए गए थे। किचन गार्डन बनने के बाद इनके प्रबंधन की जिम्मेदारी शिक्षक तो कहीं ग्राम प्रधान संभालते हैं।

मनोज धाकरे, जिला समन्वयक मिड-डे मील