हेलो...युवती की मधुर आवाज और फिर ऐसा स्कैम, जिसमें फंस गए 58 वर्षीय शिक्षक; तीन दिन में गवां दी जमा पूजी

 

आगरा के गांव खड़वाई (सिकंदरा) निवासी 58 वर्षीय शिक्षक बिजेंद्र सिंह को साइबर अपराधियों ने दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर तीन तक डिजिटल अरेस्ट किया। वीडियो काॅल पर युवती से अश्लील बात करने का आरोप लगाते हुए धमकाया। 1.55 लाख रुपये खाते में जमा करा लिए। पीड़ित ने पत्नी के जेवरात गिरवीं रखकर रुपयों का इंतजाम किया। पुलिस ने शिकायत पर जांच के नाम पर 5 महीने लगाए। सोमवार को मुकदमा दर्ज किया गया।




 

बिजेंद्र सिंह अछनेरा ब्लाॅक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि 13 अगस्त, 2024 को अंजान नंबर से काॅल आई। दूसरी ओर से युवती बोल रही थी। वह बातचीत करने लगी। वह उसे जानते नहीं थे। इस पर काॅल काट दी। अगले दिन उनके पास कॉल आई। दूसरी ओर से कहा गया कि दिल्ली क्राइम ब्रांच से बोल रहे हैं।





आरोप लगाया कि तुमने एक युवती से आपत्तिजनक बातें की थीं। युवती ने तुम्हारे खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस की पूछताछ में युवती के आरोप की पुष्टि नहीं हो रही है। वह निर्दोष लग रहे हैं। इसलिए पुलिस पहले काल करके पूछ रही है। वीडियो यूट्यूब, इंस्टाग्राम एवं फेसबुक पर अपलोड हो गए हैं। इन्हें डिलीट कराना है तो 55 हजार रुपये देने होंगे। उनको धमकाकर कॉल काटने भी नहीं दी गई। उनसे एक खाते में रकम जमा करा ली गई। अगले दिन फिर काॅल आई। इस बार कहा गया कि युवती ने पूछताछ के बाद इमारत से छलांग लगा दी है। वह अस्पताल में भर्ती है। युवती के उपचार के लिए एक लाख रुपये मांगने लगे।


 

बिजेंद्र सिंह घबरा गए। उनके पास रुपये नहीं थे। उन्होंने पत्नी के जेवरात गिरवी रखकर रुपयों का इंतजाम किया। आरोपियों के बताए खाते में जमा कराए। दहशत के कारण परिजन को नहीं बताया। 16 अगस्त को तीसरी बार काॅल आई। कहा कि युवती की म़ृत्यु हो गई है। उसके माता-पिता एक और मुकदमा दर्ज करा रहे हैं। राजीनामा के नाम पर ढाई लाख रुपये की मांग की गई।

शिक्षक ने अपने बेटे को जानकारी दी। वह बाकी जेवरात गिरवी रखने के लिए सर्राफ के पास गए थे। सराफ ने इतनी रकम की मांग करने पर पूछताछ की। उनके बताने पर सराफ समझ गए कि साइबर अपराध का मामला है। उन्होंने पुलिस में शिकायत करने के लिए बोला। इस पर उन्होंने साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 और साइबर थाने में शिकायत की। हालांकि मामले में 6 जनवरी को मुकदमा दर्ज किया गया।


 

पुलिस नहीं करती डिजिटल अरेस्ट

एसीपी डॉ. सुकन्या शर्मा ने बताया कि पुलिस डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। पुलिस, सीबीआई और ईडी अधिकारी बनकर कोई वीडियो काॅल करता है, मुकदमा और गिरफ्तारी करने के बारे में कहकर रुपये की मांग करता है तो समझ जाएं, साइबर क्राइम होने वाला है। कॉल काट दें, धोखाधड़ी होने पर 1930 पर संपर्क करें। अपने नजदीक और साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराएं।

 

जांच के बाद ही मुकदमा

डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि साइबर क्राइम के मामले में जांच कराई जाती है। इसके बाद मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। साइबर क्राइम थाना की टीम विवेचना करती है। जिन खातों में रकम जमा कराई जाती है। जिन नंबर से काॅल की गई, उनकी जानकारी ली जाती है। आरोपियों को गिरफ्तार किया जाता है। पिछले साल 185 मुकदमे दर्ज किए गए थे।