12 May 2025

स्कूल का पहला विकल्प न मिलने से दाखिले से पीछे हटे 3000 अभिभावक

 

लखनऊ। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत बच्चों का लॉटरी में नाम आने के बाद भी 3000 अभिभावक ऐसे हैं जो अपने बच्चों का निशुल्क दाखिला निजी स्कूलों में नहीं करवाना चाहते हैं। इसकी वजह ये है कि उन्हें मनचाहा स्कूल नहीं मिल पाया है।



आरटीई के तहत आवेदन के दौरान अभिभावकों को ब्लॉक के पांच स्कूलों का विकल्प भरना होता है। इनमें से किसी एक स्कूल का नाम बच्चे के लिए नामित किया जाता है। इसमें अधिकांश अभिभावक पहले विकल्प में ब्लॉक का सबसे अच्छा विद्यालय रखते हैं। कई बार सीटें न होने के चलते बच्चे को दूसरे विकल्प वाला स्कूल मिल जाता है। इस स्थिति में अभिभावक

पहले विकल्प वाला ही विद्यालय चाहते हैं। इस बार ऐसे 3000 हजार अभिभावाक हैं, जिन्होंने बच्चे का प्रवेश दूसरे विकल्प वाले स्कूल में चयन होने के बाद भी नहीं

कराया है। इसमें एक हजार से अधिक अभिभावक पहले चरण में आवेदन करने वाले हैं। बाकी अन्य तीन चरणों में चयनित बच्चों के अभिभावक हैं।


अभिभावकों से संपर्क करेगी विभाग की टीम

जो अभिभावक बच्चे का प्रवेश कराने से पीछे हटे हैं, उनसे अब शिक्षा विभाग की टीम संपर्क करेगी। बीएसए ने बताया कि अभिभावकों की ओर से जो फोन नंबर दिया गया है, उससे संपर्क किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बच्चे का साल न बर्बाद होने पाए। यदि अभिभावकों ने किसी अन्य स्कूल में अपने से प्रवेश करवा दिया है तो उनसे संपर्क नहीं किया जाएगा।



अपने बच्चे का साल न बर्बाद करें : बीएसए

बीएसए राम प्रवेश ने बताया कि इस बार 18000 से अधिक बच्चों का प्रवेश के लिए चयन हुआ था। इमसें 3000 ऐसे बच्चे हैं जिनके अभिभावक पहला विकल्प न मिलने से मायूस हैं। कई अभिभावक विद्यालय में बदलाव चाहते हैं, जबकि नामित विद्यालय में सीट खाली है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को बच्चे का साल नहीं बर्बाद करन चाहिए।