लखनऊ। प्रदेश के कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय को लेकर शिक्षक संगठनों का विरोध तेज हो गया है। इसके तहत विभिन्न संगठनों ने सोमवार से जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देकर इस निर्णय को रोकने की मांग की। साथ ही सीएम तक भी अपनी बात पहुंचाने का अनुरोध किया। इसके लिए लखनऊ, बरेली समेत कई जिलों में ज्ञापन दिया गया।
शिक्षक संगठन यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर की अध्यक्षता में संगठन की प्रांतीय कार्यसमिति की सोमवार को ऑनलाइन बैठक हुई। इसमें पदाधिकारियों ने कहा कि किसी स्कूल में कम नामांकन है तो वहां संसाधन व शिक्षक भेजने की आवश्यकता है न कि उस विद्यालय को बंद करना न्यायसंगत है।
उन्होंने कहा कि स्कूल विलय करने से शैक्षिक असमानता व बालिकाओं के ड्रॉपआउट में बढ़ोतरी होगी। संगठन ने इस निर्णय पर पुनर्विचार के लिए चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की। पहले चरण में प्रदेश के सभी जिलों में 23 से 29 जून तक जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में जनप्रतिनिधियों व डीएम
को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया जाएगा। इसी क्रम में सोमवार को बरेली में यूटा जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट अलंकार अग्निहोत्री को दिया।
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय के नेतृत्व में विद्यालयों का विलय आदेश वापस लेने के लिए राजधानी में विधायक मोहनलालगंज अमरेश रावत व विधायक बक्शी का तालाब योगेश शुक्ला को ज्ञापन दिया। ज्ञापन देने वालों में बृजेश कुमार मौर्य, मोहम्मद रियाज, हरि शंकर राठौर, भीम सिंह आदि शामिल थे.
30 जून के बाद तेज होगा आंदोलन
सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि सोमवार को विलय के विरोध में लखनऊ, बरेली, झांसी, ललितपुर, एटा, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात, प्रतापगढ़ आदि जिलों में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन कार्यक्रम 30 जून तक चलेगा। तब तक अगर विलय संबंधी आदेश निरस्त नहीं किया जाता है तो 30 जून के बाद राजधानी लखनऊ में आंदोलन होगा। इसमें शिक्षक, अनुदेशक, शिक्षामित्र, रसोईयां आदि सभी शामिल होंगे।