लखनऊ। प्रदेश में कम नामांकन वाले परिषदीय स्कूलों के विलय का विरोध बढ़ता जा रहा है। शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशकों के संयुक्त मोर्चा ने शनिवार को ऑनलाइन बैठक कर इस निर्णय का विरोध किया। साथ ही यह भी कहा कि जल्द यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय सचिव दिलीप चौहान ने बताया कि विद्यालयों के विलय से वह बच्चे जो गरीब तबके से आते हैं, जिनके पास विद्यालय तक आने जाने का कोई संसाधन तक नहीं है। ऐसे बच्चे अपने घर के पास के विद्यालय में शिक्षा पाते थे, वे प्रभावित होंगे। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष योगेश त्यागी ने कहा कि सरकार विद्यालयों को मर्ज कर आरटीई एक्ट का उलंघन कर रही है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि विद्यालय को बंद कर पिछड़े क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षा से दूर रखने का विरोध करेंगे। यदि
इस फैसले को वापस नहीं लिया जाता तो हम सब मिलकर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संतोष तिवारी व उप्र बीटीसी शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष अनिल यादव
ने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों को एक किलोमीटर की दूरी पर इसलिए ही खोला गया था ताकि पास के गांव व मजरे के बच्चों को बिना किसी परेशानी के शिक्षित किया जा सके। ऐसे में विद्यालयों का विलय करना शिक्षकों और बच्चों के साथ घोर अन्याय होगा।
बैठक में शिक्षामित्र संगठन के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला व प्रदेश महामंत्री सुशील यादव, एफआरसीटी के संस्थापक महेंद्र कुमार वर्मा, विशिष्ट बीटीसी संगठन की वरिष्ठ उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा, अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने इसका विरोध किया। वहीं बीटीसी संघ के प्रदेश अध्यक्ष नीतेश पांडेय ने कहा कि जो बीटीसी, बीएड किए लाखों युवा हर साल निकल रहे हैं, वह कहां जाएंगे।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने राज्यपाल को लिखा पत्र
लखनऊ। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर मनमाने तरीके से विद्यालयों के विलय कर आम आदमी के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने इसको रोकने की मांग की है। अजय राय ने कहा है कि प्रदेश सरकार शिक्षा के क्षेत्र में लगातार जनविरोधी और मनमानी नीतियां लागू कर रही है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान आम आदमी के बच्चों को हो रहा है। विद्यालयों के विलय से ग्रामीण और गरीब परिवार के बच्चे शिक्षा से वंचित होंगे। शिक्षक भर्तियों को लटकाकर और खाली पदों को भरने में आनाकानी करके सरकार सरकारी विद्यालयों को जानबूझकर कमजोर कर रही है।