संविधान के अनुच्छेद 137 के अंतर्गत इंचार्ज हेड प्रकरण पर दाखिल याचिका सीधे चेम्बर से ही खारिज हो जाएगी। सरकार का यह पूरा पैंतरा केवल कॉन्टेम्प्ट से बचने हेतु ही चलाया जा रहा है।
मेरा कहना आज भी यही है कि याचियों को प्रत्यक्ष रूप से कोई लाभ नहीं मिलेगा। यदि किसी जिले में कोई शिक्षक जूनियर होते हुए इंचार्ज हेड बना दिया गया है, तो उसे हेड का वेतन कतई प्राप्त नहीं होगा। यदि राज्य सरकार ने ऐसा कदम उठाया तो पूरा तंत्र भूकम्प की तरह हिल जाएगा।
इसकी वैधानिक स्थिति (legality) यह है कि –
“समान कार्य हेतु समान वेतन” का सिद्धांत तभी लागू होगा जब
1. समान शैक्षिक योग्यताएँ हों, और
2. सीनियॉरिटी का निर्विवाद पालन किया गया हो और सीनियॉरिटी का निर्धारण सदैव ज़िले में नियुक्ति तिथि से ही होगा।
किसी के जाल में न फँसिये पहले सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करने दीजिये ये फ़ैसला प्रदेश स्तर पर लागू होगा
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