यह भी कहा – 2014 से पहले क्या हुआ या बाद में, यह कोर्ट के लिए प्रासंगिक नहीं
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल के हिंसक विरोध-प्रदर्शनों का हवाला देते हुए भारतीय संविधान की तारीफ की। कहा, हमें अपने संविधान पर गर्व है... देखिए पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अनूप एस चंद्रचूड़ की संविधान पीठ ने यह टिप्पणी की। जस्टिस चंद्रचूड़ ने भारत के संविधानिक ढांचे की स्थिरता पर जोर देने के लिए नेपाल का जिक्र किया।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जब कहा कि 1970 से 2025 तक देश में 17,000 विधेयकों में सिर्फ 20 ही रोके गए हैं, तो जस्टिस नाथ ने कहा, यही 75 वर्षों से संविधान व लोकतंत्र के साथ चल रहा है। 50 फीसदी विधेयक रोके गए होते या 90 फीसदी तो दिक्कत होती। जस्टिस गवई ने कहा, हमें संविधान पर गर्व है। नेपाल में हिंसक घटनाएं हो रही हैं। पड़ोसी देश देखिए। पाकिस्तान भी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 111 में राष्ट्रपति को बिल पास करने से रोकने का अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह हर बिल रोक दें। जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, हमारा सिस्टम बहुत अच्छे से काम कर रहा है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, हम जिस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, उसमें 2014 से पहले क्या हुआ या बाद में क्या हुआ, यह कोर्ट के लिए प्रासंगिक नहीं है। हम सिर्फ यह देखेंगे कि मौजूदा कानून संविधान के खिलाफ है या नहीं।