नई दिल्ली। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने नेशनल पेंशन सिस्टम में कॉर्पोरेट नियोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए पेंशन फंड और निवेश विकल्प चुनने की प्रक्रिया में बदलाव किया है। यह सर्कुलर 12 सितंबर, 2025 को जारी सर्कुलर का आंशिक संशोधन है। जारी सर्कुलर के जरिए संयुक्त योगदान संरचनाओं पर अधिक स्पष्टता दी गई है और इसमें आपसी सहमति, कर्मचारियों से परामर्श, और लंबी अवधि के निवेश पर जोर दिया गया है।
पीएफआरडीए ने कहा कि अब पेंशन फंड और निवेश योजनाओं के चयन के निर्णय प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच एक औपचारिक और आपसी सहमति के माध्यम से किए जाने चाहिए।
संशोधन के अनुसार, शुरुआत में किए गए पेंशन फंड के चयन की समीक्षा नियोक्ता द्वारा वार्षिक आधार पर की जाएगी। पेंशन फंड में कोई भी बदलाव आपसी सहमति की पूर्वनिर्धारित शर्तों और फंड के दीर्घकालिक प्रदर्शन के आधार पर किया जाना चाहिए।
कॉर्पोरेट एनपीएस मॉडल नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों को एनपीएस के लाभ देने की सुविधा प्रदान करता है। इस मॉडल में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों ही कर्मचारी के एनपीएस खाते में योगदान कर सकते हैं, जिससे बाजार से जुड़े रिटर्न के साथ एक मजबूत सेवानिवृत्ति कोष तैयार होता है।
कॉर्पोरेट एनपीएस मॉडल में कंपनियां दो तरह से योगदान कर सकती हैं, पहला संयुक्त योगदान, जिसमें कंपनी और कर्मचारी दोनों खाते में पैसा डालते हैं। दूसरा, केवल कंपनी योगदान, जिसमें सिर्फ कंपनी ही पैसा जमा करती है। कर्मचारियों के पास यह सुविधा भी होती है कि वे अपनी इच्छा से अतिरिक्त पैसे जमा कर सकते हैं और अपनी जोखिम सहनशीलता के आधार पर विभिन्न पेंशन फंड और निवेश योजनाओं में से चुन सकते हैं।
कॉर्पोरेट एनपीएस मॉडल में कर्मचारी-स्वतंत्र विकल्प भी मौजूद है। इसके तहत कर्मचारी अपने एनपीएस खाते में खुद योगदान कर सकते हैं, चाहे कंपनी इसमें हिस्सा ले या न ले।

