नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बायोमीट्रिक हाजिरी प्रणाली की शुरुआत सभी हितधारकों के फायदे के लिए है। इस प्रणाली की शुरुआत को सिर्फ इसलिए अवैध नहीं ठहराया जा सकता कि इसे लागू करने से पहले सरकारी कर्मियों से परामर्श नहीं किया गया। न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने केंद्र की ओर से 2015 में दायर वह अर्जी मंजूर कर ली।

