अभिभावकों के खाते में भेजी जाएगी स्वेटर, जूता और मोजा खरीदने के लिए खरीदने की धनराशि

करीब एक लाख अभिभावकों के खाते में भेजी जाएगी स्वेटर खरीदने की धनराशि

- डीबीटी के माध्यम से अभिभावकों के खाते में भेजी जाएगी रकम
- स्वेटर, जूता और मोजा खरीदने के लिए
पडरौना। परिषदीय और सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक नामांकित बच्चों को अब स्कूल से ड्रेस, स्वेटर, स्कूल बैग, जूता और मोजा नहीं मिलेगा। अब इसके खरीद के लिए अभिभावकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से धनराशि भेजी जाएगी। इसके लिए विभाग की तरफ से अभी करीब एक लाख अभिभावकों के खाते में धनराशि भेजने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। सब कुछ ठीक रहा तो दिवाली के बाद उनके खाते में धनराशि भेज दी जाएगी।

जिले में 2464 परिषदीय और 56 वित्तपोषित जूनियर विद्यालय संचालित होते हैं। परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठवीं तक 312194 और वित्तपोषित विद्यालयों में कुल 51203 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। पहले इन विद्यार्थियों को स्कूल से गणवेश और स्कूल बैग के अलावा जाड़े में स्वेटर, जूता और मोजा मिलता था। लेकिन गणवेश की खरीदारी में हो रही धांधली को देखते हुए सरकार ने इस वर्ष से इसकी खरीदारी के लिए डीबीटी के माध्यम से सीधे अभिभावकों के खाते में धनराशि देने की योजना बनाई है ताकि अभिभावक अपने पसंद की ड्रेस खरीद सकें।

खाते में भेजे जाएंगे 1100 रुपये
परिषदीय स्कूलों में नामांकित छात्र-छात्राओं को स्वेटर, स्कूल बैग, जूता और मोजा की खरीदारी के लिए अब डीबीटी के माध्यम से अभिभावकों के खाते में 1100 रुपये भेजा जाएगा। लेकिन यह धनराशि उन्हीं अभिभावकों के खाते में दी जाएगी, जिनके बैंक खाते आधार से सीडेड और सक्रिय होंगे। शासन से प्राप्त यह धनराशि दो सेट ड्रेस के लिए छह सौ, स्वेटर के लिए दो सौ, स्कूल बैग के लिए 175 और एक जोड़ी जूता और दो जोड़ी मोजा के लिए 125 समेत कुल 1100 रुपये अभिभावकों के खाते में भेजी जानी है।
परिषदीय और वित्तपोषित जूनियर विद्यालयों नामांकित बच्चों के स्कूल बैग और गणवेश के लिए डीबीटी के माध्यम से अभी करीब एक लाख अभिभावकों के खाते में 1100 रूपये भेजे जाने हैं। इसकी सभी तैयारियां विभाग की तरफ से पूरी कर ली गई हैं। दीपावली के अवकाश के बाद यह धनराशि उन्हें प्रेषित कर दी जाएंगी। शेष अभिभावकों से प्राप्त खाते का मिलान किया जा रहा है। उन्हें भी इस योजना से लाभांवित कर दिया जाएगा।
उपेंद्र गुप्ता..... डीसी सामुदायिक