इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि कर्मचारी की सेवा शुरू होने के साथ ही उसकी सेवावधि की गणना की जाएगी। उसकी सेवा ज्वाइनिंग भले ही दैनिक वेतन भोगी केरूप में हुई हो। इस आधार पर कर्मचारी पेंशन के साथ अन्य भत्तों को पाने का हकदार है। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने नगर निगम कर्मचारी कमालुद्दीन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने नगर निगम प्रयागराज को आदेश दिया है कि कर्मचारी के पेंशन संबंधी सभी देयों का भुगतान आदेश की कापी प्राप्त करने के तीन महीने के भीतर देना होगा। याची के अधिवक्ता सैय्यद मोहम्मद अब्बास आब्दी ने तर्क दिया कि याची 14 जून 1989 से ही नगर निगम का कर्मचारी है। उसे 22 सितंबर 2008 को नियमित किया गया और 2018 में वह सेवानिवृत्त हो गया। सेवानिवृत्त होने के बाद वह पेंशन सहित अन्य देयों का हकदार है।
याची ने इस संबंध में नगर निगम के समक्ष 22 फरवरी 2021 को पत्र देकर पेंशन सहित अन्य देयों के भुगतान की मांग की लेकिन नगर आयुक्त ने उसके आवेदन पत्र को निरस्त कर दिया। याची के अधिवक्ता ने इसी तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट केदिए गए प्रेम सिंह बनाम स्टेट ऑफ यूपी, कौशल किशोर चौबे बनाम स्टेट ऑफ यूपी के केस का हवाला दिया।
जबकि प्रतिवादी केअधिवक्ता ने इसका विरोध किया। कहा कि कर्मचारी 2008 में नियमित किया गया। इसलिए वह पेंशन योजना 2005 के अंतर्गत पेंशन पाने का हकदान नहीं है। लेकिन, कोर्ट ने प्रतिवादी के अधिवक्ता के तर्कों को दरकिनारकर याची की याचिका को स्वीकार करते हुए नगर आयुक्त प्रयागराज को तीन महीने के भीतर पेंशन सहित अन्य देयों के भुगतान का आदेश दिया।
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