तेल कंपनियों ने थोक उपभोक्ताओं के लिए डीजल की कीमतों में एकमुश्त 25 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। सभी कर मिलाकर अंतरिम बढ़ोतरी 28 रुपये के करीब होगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामोंमें 40 प्रतिशत तक उछाल के बाद यह निर्णय लिया गया है। हालांकि, पेट्रोल पंपों पर बेचे जाने वाले डीजल की खुदरा कीमतों में बदलाव नहीं हुआ है।
संभवत: यह पहला मौका है जब डीजल या पेट्रोल के दामोंमें एकमुश्त इतनी वृद्धि की गई है। जानकारों का कहना है कि डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ महंगाई बढ़ना तय है।
इसलिए बढ़ रहे दाम: खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका के बीच मार्च के पहले 15 दिनों में पेट्रोल-डीजल की जमकर बिक्री हुई। इसका कारण यह है कि बस बेड़े के परिचालक और मॉल जैसे थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों से ईंधन खरीद रहे हैं। आमतौर पर वे कंपनियों से सीधे ईंधन खरीदते थे। ऐसे में तेल कंपनियों का नुकसान बढ़ा है।
पांच माह से नहीं बढ़े दाम: सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने चार नवंबर 2021 र्से ईंधन के दाम नहीं बढ़ाए हैं। हालांकि, इस दौरान वैश्विक स्तर पर कीमतों में उछाल आया है।
15 दिनों में 32 फीसदी बढ़ी बिक्री: खुदरा कीमतों में वृद्धि की आशंका के बीच मार्च के पहले 15 दिनों में पेट्रोल-डीजल की जमकर बिक्री हुई। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने 3.53 मिलियन टन डीजल बेचा है।
आम आदमी पर लंबे समय में पड़ेगा असर
कीमतों में बढ़ोतरी का असर अंत में आम आदमी पर ही पड़ेगा। केडिया एडवाइजरी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया कहते हैं कि थोक खरीदारों के लिए माल-ढुलाई सबसे ज्यादा प्रभावित होगी। इससे वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी, जिसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। महंगाई दर में भी बढ़ोतरी होगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें दो से तीन महीने उच्च स्तर पर बनी रहने का अनुमान है। ऐसे में घरेलू स्तर पर ऊंची कीमतों से राहत के आसार नहीं हैं।
डीजल की कीमतों में 25 रुपये का इजाफा हो गया है. थोक उपभोक्ताओं के लिए डीजल कीमतों में 25 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है. सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि थोक ग्राहकों को बिक्री वाला डीजल 25 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है. इंटरनेशनल लेवल पर कच्चे तेल की कीमतों में 40 फीसदी के उछाल के बाद यह कदम उठाया गया है. हालांकि, पेट्रोल पंपों के जरिए बेचे जाने वाले डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
पेट्रोल पंपों की बिक्री में आया 20 फीसदी का उछाल
इस महीने पेट्रोल पंपों की बिक्री में 20 फीसदी का उछाल आया है. बस बेड़े के परिचालकों और मॉल जैसे थोक उपभोक्ताओं ने पेट्रोल पंपों से ईंधन खरीदा है. आमतौर पर वे पेट्रोलियम कंपनियों से सीधे ईंधन की खरीद करते हैं. इससे ईंधन की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियों का नुकसान बढ़ा है.
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कौन सी कंपनी हुई सबसे ज्यादा प्रभावित
आपको बता दें सबसे अधिक प्रभावित नायरा एनर्जी, जियो-बीपी और शेल जैसी कंपनियां हुई हैं. बिक्री बढ़ने के बावजूद इन कंपनियों ने अभी तक मात्रा में कमी नहीं की है, लेकिन अब पंपों के लिए परिचालन आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रह जाएगा.
136 दिनों से ईंधन की कीमतों में नहीं हुआ इजाफा
मामले की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों ने कहा कि रिकॉर्ड 136 दिन से ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है, जिसकी वजह से कंपनियों के लिए इन दरों पर अधिक ईंधन बेचने के बजाय पेट्रोल पंपों को बंद करना अधिक व्यावहारिक विकल्प होगा. साल 2008 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बिक्री घटकर ‘शून्य’ पर आने के बाद अपने सभी 1,432 पेट्रोल पंप बंद कर दिए थे.
थोक उपभोक्ता कर रहे खरीदारी
सूत्रों ने कहा कि कुछ यही स्थिति आज भी बन रही है. थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों से खरीदारी कर रहे हैं. इससे इन रिटेलरों का घाटा बढ़ रहा है. मुंबई में थोक उपभोक्ताओं के लिए डीजल का दाम बढ़कर 122.05 रुपये प्रति लीटर हो गया है. पेट्रोल पंपों पर डीजल 94.14 रुपये प्रति लीटर के भाव बिक रहा है.
दिल्ली में क्या है डीजल का भाव
इसी तरह दिल्ली में पेट्रोल पपों पर डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर है जबकि थोक या औद्योगिक ग्राहकों के लिए इसकी कीमत 115 रुपये प्रति लीटर है.
चुनाव नतीजों के बाद भी नहीं बढ़े रेट्स
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने चार नवंबर, 2021 से पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाए हैं. हालांकि, इस दौरान वैश्विक स्तर पर ईंधन कीमतों में उछाल आया है. माना जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की गई. विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आ गए हैं, लेकिन उसके बाद भी संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की वजह से फिलहाल कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है.
पेट्रोलियम कंपनियों को हो रहा नुकसान
थोक उपभोक्ताओं के लिए दरों और पेट्रोल पंप कीमतों में 25 रुपये के बड़े अंतर की वजह से थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों से ईंधन खरीद रहे हैं. वे पेट्रोलियम कंपनियों से सीधे टैंकर बुक नहीं कर रहे हैं. इससे पेट्रोलियम कंपनियों का नुकसान और बढ़ा है.
25 रुपये प्रति लीटर का है अंतर
नायरा एनर्जी ने इस बारे में भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं दिया. जियो-बीपी ने कहा कि खुदरा आउटलेट्स पर मांग में भारी वृद्धि हुई है. खुदरा और औद्योगिक मूल्य में 25 रुपये प्रति लीटर के अंतर की वजह से थोक उपभोक्ता भी खुदरा पेट्रोल पंपों से खरीद कर रहे हैं.