हर तरह के फर्जीवाड़ों के कोषागार👉 सैकड़ों कर्मचारियों के नाम, पिता के नाम के साथ जन्मतिथि भी एक, फिर भी हो रहा भुगतान


लखनऊ। प्रदेश के कोषागार ऑनलाइन हैं। यहां वेतन- पेंशन से लेकर बजट की स्वीकृतियों से लेकर बिलों के भुगतान तक सॉफ्टवेयर से हो रहे हैं। इसके बावजूद तमाम तरह के फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। प्रधान महालेखाकार ने कोषागार के 2022- 23 के कार्यों की पड़ताल कराई। इसमें चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। पता चला है कि तमाम कर्मचारियों के नाम, उनके पिता के नाम व जन्मतिथि एक ही दर्ज हैं। इसके बावजूद इन्हें भुगतान किया जा रहा है।


इसी तरह कई कर्मचारियों की जन्मतिथि व कार्यभार ग्रहण करने की तिथि का अंतर 18 वर्ष से कम या 60 वर्ष से ज्यादा है। बिना बिल भुगतान किए जाने व बिना बजट आवंटन के राशि खर्च के लिए स्वीकृत करने के मामले भी उजागर हुए हैं। महालेखाकार की ओर से ऐसे तमाम तरह के मामलों का खुलासा करते हुए प्रकरण शासन को संदर्भित कर आवश्यक जांच व कार्रवाई के लिए कहा गया है।

70 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की न जीपीएफ कटौती हो रही न एनपीएस

कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन से जीपीएफ अथवा एनपीएस से संबंधित अंश की कटौती की जानी चाहिए। फरवरी में 71,863 व मार्च में 73,725 कर्मचारियों को भुगतान की गई राशि में से जीपीएफ या एनपीएस की कटौती नहीं की गई।

पात्र होने पर भी तमाम कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं

वर्तमान में सातवें वेतन आयोग को संस्तुतियां लागू हैं। पेंशनरों को पुनरीक्षित पेंशन का ही भुगतान होना चाहिए। पड़ताल में पता चला कि 1,023 रिकॉर्ड में, किस वेतन आयोग का लाभ दिया जा रहा है, इस कॉलम में जीरो प्रदर्शित हो रहा है। इसी तरह 14,964 रिकॉर्ड में एक से छह वेतन आयोग दर्ज पाए गए। इनमें 7897 तो सिविल एवं शिक्षा विभाग के पेंशनर हैं, जिन्हें सातवें वेतन के लाभ देने का पहले ही एलान हो चुका है।

कई लोगों को न्यूनतम पेंशन से कम भुगतान

शासन के फैसले के मुताबिक एक जनवरी 2016 से राज्य सरकार के पेंशनरों व पारिवारिक पेंशनरों को न्यूनतम 9000 रुपये भुगतान होना चाहिए। पेंशन मास्टर फाइल का मिलान भुगतान फाइल से किया गया तो पता चला कि फरवरी में 3059 व मार्च में 3019 पेंशनरों को 9000 रुपये से कम भुगतान किया गया।


2700 कर्मचारियों के डाटा का मिलान नहीं हो रहा अरबों का भुगतान

कर्मचारियों का रिकॉर्ड मास्टर फाइल में दर्ज होता है। इसी के आधार पर भुगतान होता है। फरवरी व मार्च माह में मास्टर फाइल व भुगतान (ट्रांजेक्शन) फाइल का कर्मचारी कोर्ड से मिलान किया गया। फरवरी में 27.627 व मार्च में 26,058 रिकार्ड का मास्टर फाइल से मिलान नहीं हुआ। इन रिकार्ड के सापेक्ष फरवरी में 162 करोड़ व मार्च में 148 करोड़ का भुगतान किया गया। इसी तरह पेंशनर के मामलों में फरवरी में 2981 व मार्च में 2316 रिकॉर्ड का मिलान नहीं हुआ। इन रिकॉर्ड के सापेक्ष फरवरी में 13.19 करोड़ व मार्च में 9.26 करोड़ का भुगतान किया गया है।

प्रधान महालेखाकार कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2910 रिकार्ड में

कर्मचारी का नाम, पिता का नाम व जन्मतिथि एक समान मिले। अलग-अलग कर्मचारी कोड पर एक समान नाम, पिता का नाम व जन्मतिथि वाले 248 कर्मचारियों को फरवरी में 1.16 करोड़ रुपये, जबकि 324 कर्मचारियों को मार्च में 1.31 करोड़ का भुगतान किया गया। 3925 रिकार्ड में एक समान पैन नंबर दर्ज पाए गए हैं। पेंशनरों के मामले में 20,695 पैन नंबर एक से अधिक रिकॉर्ड में दर्ज पाए गए हैं।

कई कर्मचारियों को 18 वर्ष से कम व 60 वर्ष के बाद भी नौकरी रिपोर्ट के मुताबिक 1967 रिकार्ड में कर्मचारियों की सेवा ग्रहण आयु व जन्मतिथि के बीच अंतर 18 वर्ष से कम अथवा 60 वर्ष से अधिक है। किसी भी सेवा में नियुक्ति व सेवानिवृत्त होने को क्रमशः यह न्यूनतम व अधिकतम उम्र है।

कोषागार की इस संबंध में दी गई दलील को तार्किक नहीं माना गया है। वजह, कई कर्मचारियों की नियुक्ति के समय उम्र 60 वर्ष से अधिक मिली है। इस संबंध में जांच की सिफारिश की गई है

 सरकारी कर्मचारियों को जीपीएफ न एनपीएस
नियमों के मुताबिक जीपीएफ या एनपीएस में से एक का लाभ मिलना चाहिए। दोनों लाभ किसी को भी नहीं मिल सकता। 64,177 रिकार्ड में दोनों ही लाभ न दिए जाने की बात दर्ज है। इनका जीपीएफ नंबर फील्ड बैंक या जीरो है अर्थात ये कर्मचारी जीपीएफ या एनपीएस दोनों में ही शामिल नहीं है। इसी तरह 6384 रिकार्ड ऐसे भी हैं, जिनमें दोनों ही लाभ दिए जाने की बात दर्ज है।


37235 मामलों में बिना बिल ही हो गए भुगतान

बिल जनरेशन फाइल के रजिस्ट्रेशन नंबर व ई-पेमेंट फाइल के रजिस्टर बिल सीरियल नंबर का मिलान कराए जाने पर बड़ा खुलासा हुआ पता चला कि ई-पेमेंट की फाइल के 37,235 रिकॉर्ड का मिलान बिल जनरेशन फाइल से नहीं हुआ। इससे यह स्पष्ट नहीं हो सका कि बिना बिल के 37,235 रिकार्ड के सापेक्ष भुगतान की कार्यवाही कैसे की गई? ई-पेमेंट की फाइल में रजिस्टर बिल सोरियल नंबर यूनिक आईडी के रूप में ली जाती है। पड़ताल में पता चला कि 37,235 रिकार्ड में से 36,954 रिकार्ड में रजिस्टर बिल सीरियल नंबर की जगह अंग्रेजी में मल्टिपल शब्द लिखा हुआ है।

बजट स्वीकृत नहीं, हो गया भुगतान

बजट व खर्च की पड़ताल के लिए बजट मास्टर डाटा और स्वीकृत मास्टर की फाइल का मिलान किया गया। स्वीकृति मास्टर फाइल के 101 रिकार्ड का मिलान बजट मास्टर से नहीं हो सका। इससे यह स्पष्ट नहीं हो सका कि बिना बजट आवंटन के राशि खर्च करने के लिए स्वीकृत किस आधार पर की गई ?

पिछले वर्ष की थी पड़ताल प्रधान महालेखाकार प्रयागराज की टीम ने कोषागार निदेशालय का 5 से 7 जुलाई 2022 तक निरीक्षण किया था। एक सितंबर को यह रिपोर्ट कोपागार निदेशक को कार्यवाही के लिए भेजी गई है।