शुरू से कहता आ रहा हूँ कि लखनऊ में बैठे अधिकारी जिलों के अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बनेंगे।
हापुड़ के BSA ने Aug/08/2023 को RTI का जवाब दिया फिर अब Sep/09/2023 को भी ठीक वही जवाब पुनः दिया इसको समझते हैं कि RTI की असलियत क्या है और शासन इसको कैसे हल्के में ले रहा है।
पहली बात RTI के किसी भी प्रावधान में RTI को cancel आप नहीं कर सकते हैं ये तो वही बात हुई कि पदों का घोटाला किया और फिर जब घोटाला उजागर हो गया तो RTI वापिस ले ली ऐसा कैसे हो सकता है, ऐसे फिर RTI का कोई मतलब रह जाता है क्या? ऐसे तो हर विभाग बाद में CANCEL करके ख़ुद की गर्दन बचा लेगा तो सरकार द्वारा कही जा रही ये बात ख़ारिज होती है।
क्या किसी BSA ने RTI देने के बाद जिसको RTI दी है उसको सूचित किया कि वो RTI ग़लत थी और सही RTI ये है?
मनमानी नही हो सकती है क़ानून के साथ इसलिए मैं हमेशा RTI के लिए आपको कहा और अब हालात ये हैं कि कुछ जिले के ज़िला-अधिकारी समझ नहीं पा रहे हैं कि ये मामला DIOS का है या BSA का और इधर उधर कर रहे हैं जबकि RTE rules में साफ़ mention है कि ज़िला-अधिकारी इसको anyhow उपलब्ध करवाये। ख़ैर कब तक ख़ैर मनाएंगे।
मेरा मेरे साथ जुड़े सभी साथियों से अनुरोध है कि RTI को पूरा अंजाम तक ले जाएँ प्रथम अपील, से लेकर राज्य सूचना आयोग तक को सबसे END तक RTI को पहुँचाए किसी को कोई डिकात है तो सम्पर्क करे क्योंकि इन्हें अब छोड़ दिया तो जो जिले शून्य किये हैं वहाँ कभी भी transfer नही होंगे इनसे sanctioned posts, working teachers और ख़ाली पदों का ब्यौरा माँगे, कोई अधिकारी या बाबू फ़ोन करता है तो सीधा कहें हमारा अधिकार है जानना इससे क्या मतलब है कि सूचना क्यों चाहिए?
बता रहा हूँ ये हार चुके हैं केस और सबकुछ ठीक रहा तो लम्बी लड़ाई करके हम अपनी बात मानव सकेंगे चाहे इसके लिए लखनऊ से दिल्ली का सफ़र ही क्यों न करना पड़े । मैं भी मानने वाला नही हूँ इनके बहाने बस साथ दीजिए और ये RTI वाला कार्य करिये। BSA जनसूचना अधिकारी हैं हँसी मजाक नहीं |
Himanshu Rana
9927035996