लखनऊ : परिषदीय स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों के निलंबन में खेल करना बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को भारी पड़ेगा। जानबूझकर प्रकरण को फंसाने और शिक्षकों को बेवजह कार्यालय में दौड़ाने के मामले में स्कूली शिक्षा महानिदेशालय ने सख्त नाराजगी जताई है। पिछले एक साल में 1,015 शिक्षकों को विभिन्न कारणों से निलंबित किया गया। अभी तक इसमें से 145 प्रकरणों को लंबित रखा गया है। मामला निस्तारित न होने से शिक्षक परेशान हैं।
परिषदीय स्कूलों के जिन 1,015 शिक्षकों को निलंबित किया गया था उसमें से 395 शिक्षकों को जांच कमेटी ने बिना सजा के बहाल किया यानी उनके खिलाफ दर्ज शिकायत सही नहीं पाई गई। वहीं 358 शिक्षकों को लघु दंड दिया गया। इन्हें चेतावनी नोटिस के साथ-साथ दूसरे विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया। वहीं 117 शिक्षकों को दीर्घ दंड दिया गया और इसमें तीन वेतन वृद्धि तक रोके जाने का प्रविधान है।
महानिदेशालय ने किया जवाब तलब, निस्तारण जल्द कोई शिक्षक निलंबित रहता है तो उसके मूल वेतन में से 50 प्रतिशत वेतन काटकर दिया जाता है। अगर छह माह से अधिक निलंबन की अवधि है तो 75 प्रतिशत तक वेतन काटकर दिया जाता है। फिलहाल महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर लंबित प्रकरणों के निस्तारण में हो रही देरी पर नाराजगी जताई गई है। उन्हें चेतावनी दी गई है कि अगर जल्द मामलों को निस्तारण न हुआ तो उनकी जवाबदेही तय की जाएगी। उधर, उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल यादव कहते हैं कि निलंबित शिक्षकों की जांच पारदर्शी ढंग से करने की व्यवस्था हो ताकि उनका शोषण रोका जा सके