लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार की बजाय बेसिक शिक्षा विभाग स्कूलों को बंद करने की तैयारी में है। राजधानी के ऐसे आठ प्राथमिक विद्यालयों को चिह्नित किया गया है, जहां 10 से कम छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। इन विद्यालयों में लंबे समय से छात्र संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई है। विभाग अब विद्यालयों को बंद कर यहां पंजीकृत विद्यार्थियों को अन्य सरकारी स्कूलों में शिफ्ट करेगा।
राजधानी के सरकारी विद्यालयों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। कहीं शिक्षकों की कमी है तो कई स्कूल जर्जर भवनों में चल रहे हैं। विद्यालयों की लचर व्यवस्था को देखकर अभिभावक यहां अपने बच्चों का प्रवेश कराने से कतराते हैं। लंबे प्रयास के बाद जब पंजीकरण की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो विभाग ऐसे विद्यालयों को बंद करने की
योजना बना रहा है।
माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष संदीप सिंह ने बताया कि 10 साल पहले 25 परिषदीय विद्यालयों को बंद किया गया था। अब आठ अन्य विद्यालयों को बंद करने की तैयारी है। विभाग का यह निर्णय सही नहीं है। इससे गरीब बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी। जिन क्षेत्रों में ये स्कूल संचालित हो रहे हैं, वहां के बच्चों को अब पढ़ाई के लिए कहीं और
दाखिला लेना होगा।
खंड शिक्षा अधिकारी व उत्तर प्रदेशीय विद्यालय निरीक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पीके शुक्ला ने बताया कि राजधानी के जिन स्कूलों को बंद करने की तैयारी है, उनमें ज्यादातर को अन्य विद्यालयों में अटैच कर दिया गया है। किसी विद्यालय में एक तो किसी में नौ छात्र-छात्राएं ही पंजीकृत हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आवास के
आसपास कई ऐसे सरकारी विद्यालय हैं जहां की स्थिति बहुत खराब है। लेकिन, विभाग को इसकी जानकारी नहीं है। अब सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार की बजाय बंद करने का निर्णय लिया जा रहा है जो गलत है।
कंधारीखेड़ा व पीपराघाट प्राथमिक स्कूल में केवल एक-एक विद्यार्थी
राजधानी के आठ विद्यालय ऐसे हैं जहां कुल छात्र-छात्राओं की संख्या केवल 47 है। जिला बेसिक शिक्षा कार्यालय के अनुसार, दुगोली, मानखेड़ा व शाहनजफ परिषदीय विद्यालय में 9-9 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। मदनखेड़ा और अमौसी में 8-8 विद्यार्थी, जबकि रिफ्यूजी कैंप में दो, कंधारीखेड़ा व पीपराघाट प्राथमिक स्कूल में एक-एक विद्यार्थी पंजीकृत हैं। यहां पंजीकृत विद्यार्थियों व शिक्षकों को अन्य स्कूलों में अटैच किया जाएगा।