अब वीडियो और फोटो के माध्यम से ऑटिज्म प्रभावित बच्चों की पहचान करना संभव होगा। जी हां, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआईटी) के वैज्ञानिकों ने ऑटिज्म डिटेक्शन सॉफ्टवेयर विकसित किया है। जिसमें बच्चे का वीडियो और फोटो को अपलोड करना होगा। यह सॉफ्टवेयर मशीन लर्निंग प्रोग्राम पर आधारित है, जो वीडियो से मिले डाटा के आधार पर ऑटिज्म की पहचान करेगा। यह सॉफ्टवेयर वीडियो और फोटो के माध्यम से बच्चे के व्यवहार और लक्षणों का विश्लेषण करेगा तथा ऑटिज्म की संभावना का पता लगाएगा। यह तकनीक बच्चों के लिए जल्दी और सटीक निदान की अनुमति देगी, जिससे उन्हें उचित उपचार और सहायता प्रदान की जा सकेगी।
इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) विभाग के प्रो. वृजेंद्र सिंह के साथ तृप्ति श्रीवास्तव ने भी शोध कार्य में सहयोग किया है। प्रो. सिंह ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर की मदद से डॉक्टर और विशेषज्ञ बच्चे के व्यवहार, मुद्राओं और अन्य लक्षणों का विश्लेषण कर सकेंगे तथा ऑटिज्म की संभावना का पता लगा सकेंगे। ऑटिज्म पीड़ित बच्चे अपनी भावनाओं को प्रदर्शित नहीं कर पाते हैं, इससे वह परेशान होते हैं। खासतौर पर वह सोशल वीडियो पर केंद्रित नहीं होते हैं। यानी जिस वीडियो में इंसानों की मौजूदगी होती है वह उधर से नजर हटा लेते हैं और इंसानों की गैर मौजूदगी वाली वीडियो के प्रति आकर्षित होते हैं। इस व्यवहार के आधार पर कंप्यूटर विजन तकनीक का प्रयोग किया गया। यह शोध स्प्रिंगर पब्लिकेशन के अंतरराष्ट्रीय जर्नल हेल्थ इनफारमेशन साइंस सिस्टम के हालिया अंक में प्रकाशित हुआ है।
ऑटिज्म पीड़ित बच्चे अकेले रहना करते हैं पसंद
प्रो. सिंह ने बताया कि ऑटिज्म अर्थात आत्मविमोह मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चे अकेले रहना पसंद करते हैं। नजर मिलाने से कतराते हैं। सामान्य आवाज और उनके नाम से बुलाने पर भी ध्यान नहीं देते हैं। मां या किसी अन्य के आने जाने से ये परेशान नहीं होते। बहुत कम मुस्कुराते हैं। एक क्रिया को बार-बार दोहराते हैं।