होम लोन लेते समय बैंकों की इन चालाकियों से रहें सावधान! जानें वे कैसे बढ़ाते हैं EMI

 


आज के समय में प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों के चलते अपना घर खरीदने के लिए होम लोन लेना आम बात हो गई है। यह एक लंबी अवधि का ऋण होता है, जिसमें बैंक कई बार ग्राहकों को ऐसे फंदे में फंसाते हैं, जिनके बारे में जानकारी होना हर लोन लेने वाले के लिए ज़रूरी है। अगर आप भी घर खरीदने के लिए लोन की योजना बना रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।



 प्रॉपर्टी के दाम और लोन की मजबूरी

देश के बड़े शहरों जैसे दिल्ली-एनसीआर, मुंबई या बेंगलुरु में अधिकांश लोग होम लोन पर निर्भर हैं। इन शहरों में बनी सोसाइटियों में रहने वाले ज्यादातर लोगों ने बैंकों के लोन से ही अपने सपनों का घर खरीदा है। नौकरीपेशा वर्ग के लिए कैश में घर खरीदना लगभग असंभव है, इसलिए लोन ही एकमात्र विकल्प बचता है। लेकिन, यही वह मोड़ है जहाँ बैंक अपनी चालाकी से ग्राहकों को फंसाने का प्रयास करते हैं।


भावुकता में न करें गलती: एक्सपर्ट्स ही बच पाते हैं फंदे से

जब कोई व्यक्ति घर खरीदने के सपने के करीब पहुँचता है, तो उसकी भावुकता और उत्सुकता उसे बैंकों के जाल में फंसा देती है। प्रॉपर्टी एक्सपर्ट्स के अनुसार, केवल वे ही लोग बैंकों की चालों से बच पाते हैं जो लोन की बारीकियों और ब्याज के गणित को समझते हैं। आम लोग अक्सर ऋण के दस्तावेज़ों को बिना पढ़े स्वीकार कर लेते हैं, जिससे बाद में उन्हें भारी ब्याज चुकाना पड़ता है।


 बैंकों का असली मकसद: मुनाफा कमाना

बैंक और वित्तीय संस्थाएं ग्राहकों की मदद करने के बजाय अपना मुनाफा बढ़ाने पर ध्यान देती हैं। वे लोन के साथ इंश्योरेंस पॉलिसी जैसे अतिरिक्त उत्पाद थोप देते हैं, जिनका उद्देश्य ग्राहक की सुरक्षा नहीं, बल्कि बैंक के लोन को "डबल सिक्योरिटी" देना होता है। हालाँकि, इन पॉलिसियों के बारे में बैंक पूरी जानकारी नहीं देते, जिससे ग्राहकों को नुकसान होता है।


इंश्योरेंस पॉलिसी का खेल: ईएमआई बढ़ाकर बैंक कमाते हैं ज्यादा

बैंक लोन देते समय ग्राहकों को टर्म इंश्योरेंस लेने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका दावा होता है कि इसके प्रीमियम को लोन राशि में जोड़कर महज 200-300 रुपये प्रति माह की ईएमआई बढ़ाई जाएगी। लेकिन, यहाँ छुपा हुआ है ब्याज का फंदा! उदाहरण के तौर पर, अगर आपने 20 लाख रुपये का लोन लिया और बैंक ने 30,000 रुपये की सिंगल प्रीमियम पॉलिसी जोड़ दी, तो यह रकम भी लोन की मुख्य राशि का हिस्सा बन जाती है। इस पर ब्याज लगाकर 20 साल में आपकी कुल ईएमआई हज़ारों रुपये बढ़ जाती है।


 एक्सपर्ट्स की सलाह: इन बातों का रखें ध्यान

1. सिंगल प्रीमियम से बचें: बैंक द्वारा सुझाई गई सिंगल प्रीमियम पॉलिसी के बजाय रेगुलर प्रीमियम पॉलिसी लेना बेहतर है। इससे आपका बोझ कम होगा।

2. बाजार में तुलना करें: बैंक के अलावा अन्य इंश्योरेंस कंपनियों से भी पॉलिसी की कीमत पूछें। अक्सर बाहर सस्ते विकल्प मिल जाते हैं।

3. लोन और इंश्योरेंस को अलग रखें: बैंक को लोन राशि में इंश्योरेंस प्रीमियम जोड़ने की अनुमति न दें। इसे अलग से भुगतान करने पर ब्याज का खर्च बचेगा।

4. दस्तावेज़ ध्यान से पढ़ें: लोन एग्रीमेंट में छुपे शब्दों जैसे "प्रोसेसिंग फीस" या "हिडेन चार्जेस" पर नज़र रखें।



सतर्कता ही है बचाव का रास्ता

होम लोन लेते समय भावनाओं में बहने के बजाय समझदारी से कदम उठाएँ। बैंकों की चालाकियों को समझें और एक्सपर्ट्स की सलाह लेकर ही कोई निर्णय करें। याद रखें, लोन की हर शर्त आपकी जेब पर दस-बीस साल का असर डाल सकती है, इसलिए सावधानी बरतना ही सबसे बड़ी सुरक्षा है!