आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को और सरल बनाने के लिए फॉर्म-16 के प्रारूप में बदलाव किया है। नए फॉर्म-16 में अब अधिक विस्तृत और स्पष्ट जानकारियां होंगी, जिससे करदाताओं को आईटीआर दाखिल करने में आसानी होगी।
क्या है बदलाव: पहले फॉर्म-16 में केवल बुनियादी जानकारी शामिल होती थी, लेकिन अब नए फॉर्म में करदाता स्पष्ट रूप से देख पाएंगे कि कौन-कौन से भत्ते कर-मुक्त हैं, कितनी कटौती की गई है और कौन-कौन से वेतन लाभ कर के दायरे में आते हैं। इससे करदाताओं को यह समझने में आसानी होगी कि उनके वेतन का कौन सा हिस्सा कर के दायरे में आता है और कितनी कटौती हुई है। इससे आईटीआर दाखिल करते समय भ्रम की स्थिति कम होगी और पूरी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सरल हो जाएगी। ये बदलाव प्रभावी हो चुके हैं और वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए लागू होंगे।
सरकार का मकसद है कि करदाता को सटीक और पूरी जानकारी दी जाए ताकि वे गलती न करें और बेवजह नोटिस न आए। इससे कर व्यवस्था पारदर्शी बनेगी और आईटीआर दाखिल करना पहले से आसान हो जाएगा।
फर्जी कर दावों की जांच में तेजी आएगी
नई दिल्ली। सीबीडीटी ने आयकर अधिकारियों को चालू वित्त वर्ष के दौरान अग्रिम कर जमा करने वाले शीर्ष करदाताओं पर ‘बारीकी से’ नजर रखने और छूट एवं कटौती के फर्जी दावों की पहचान के निर्देश दिए हैं। फरवरी में पेश बजट अनुमानों के अनुसार, केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए प्रत्यक्ष करों के तहत आयकर विभाग के लिए 25.20 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य से थोड़ा चूक गया।
क्या होगा नए प्रारूप में
1. वेतन के प्रत्येक घटक का विस्तृत विवरण होगाX
2. कर-मुक्त भत्तों और कर योग्य लाभों की स्पष्ट जानकारी मिलेगीX
3. धारा 80सी, 80डी, 80ई और 80जी के तहत कटौतियों की विस्तृत सूची होगीX
4. नियोक्ता के पैन और टैन नंबर की जानकारी होगी
क्यों जरूरी है यह फॉर्म
फॉर्म-16 आईटीआर दाखिल के साथ-साथ ऋण आवेदन करते समय भी एक अहम दस्तावेज होता है। कई वित्तीय संस्थान इसे आय का प्रमाण मानते हैं और इसी के आधार पर ऋण पात्रता का आकलन करते हैं। इसके अलावा, यदि किसी वेतनभोगी ने अतिरिक्त टीडीएस का भुगतान किया है तो फॉर्म-16 के आधार पर वह रिफंड का दावा भी कर सकता है।
कुछ लाभ भी कर के दायरे में
इसके अलावा नियोक्ता की तरफ से मिलने वाली कुछ सुविधाओं को भी कर के दायरे में जोड़ा गया है। अगर कंपनी ने कर्मचारी को मुफ्त में घर दिया है तो इसे अब एक परिलाभ माना जाएगा और इस पर आयकर लग सकता है।