लखनऊः प्रदेश के अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के आनलाइन और आफलाइन स्थानांतरण को लेकर भ्रम और आपत्ति का माहौल है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शनिवार को ट्रांसफर से जुड़ी गाइडलाइन जारी की, लेकिन शिक्षकों का कहना है कि दोनों प्रक्रियाएं असमान हैं और इससे कई शिक्षक फंसे हुए हैं।
प्रदेश के 4512 एडेड माध्यमिक विद्यालयों में करीब 65 हजार शिक्षक कार्यरत हैं। इन कालेजों में शिक्षकों को स्थानांतरण की सुविधा दोनों माध्यमों से दी गई है, लेकिन पहले से आफलाइन आवेदन करने वाले शिक्षकों की फाइलें अब भी जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) और संयुक्त शिक्षा निदेशक (जेडी) स्तर पर लंबित हैं। इससे उनका आवेदन अधर में लटक गया है।
शिक्षकों का कहना है कि कई जगहों पर प्रबंध समितियों ने ट्रांसफर के लिए आफलाइन एनओसी जारी कर दी और आनलाइन स्थानांतरण का विकल्प 'नहीं' लाक कर दिया है। साथ ही उनकी फाइलें निदेशालय तक नहीं पहुंच पाईं हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इन पदों पर स्थानांतरण कैसे होगा? पूर्व में भी आनलाइन ट्रांसफर की प्रक्रिया विवादों में घिर चुकी है और मामला न्यायालय तक पहुंच गया था।
तब कई शिक्षक स्थानांतरण के बाद भी कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाए थे। शिक्षक संगठनों ने मांग की है कि पहले से चल रही आफलाइन फाइलों को मान्य किया जाए और संशोधित आदेश जारी कर स्थिति स्पष्ट की जाए। उनका यह भी कहना है कि आनलाइन पोर्टल
पर दर्शाए जा रहे पदों की संख्या बहुत कम है। साथ ही, ट्रांसफर के लिए तय किए गए मानक सरकारी स्कूलों के अनुसार हैं, जबकि एडेड स्कूलों की व्यवस्थाएं अलग हैं।
कुछ शिक्षकों का मानना है कि आनलाइन ट्रांसफर व्यवस्था व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि एडेड स्कूलों में प्रबंध समितियां अलग-अलग होती हैं और उन्हें आनलाइन प्रक्रिया में सहमत कराना मुश्किल होता है। वहीं, आफलाइन में दोनों स्कूलों की सहमति से प्रक्रिया आसान हो जाती है। फिलहाल शिक्षकों ने विभाग से स्पष्ट व्यवस्था बनाने, लंबित फाइलों को निपटाने और आनलाइन-आफलाइन दोनों प्रक्रियाओं में समानता लाने की मांग की है।