जनगणना के डिजिटल आंकड़ों व डिजिटल मैपिंग की उपलब्धता से डेढ साल के भीतर हो सकता है पूरा
लोकसभा में 800 से अधिक हो सकतीं सीटें, वर्तमान में 543 हैं, बदलेगी 2029 के लोस चुनाव की तस्वीर
नई दिल्ली: एक मार्च 2027 को जनगणना पूरी होने के बाद लोकसभा और विधानसभाओं की सीटों का परिसीमन किया जाएगा। इस परिसीमन में न केवल लोकसभा और विधानसभाओं की सीटें बढ़ेंगी, बल्कि महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटों का आरक्षण भी लागू किया जाएगा। इस संबंध में संसद पहले ही महिला आरक्षण विधेयक 2023 को पारित कर चुकी है।
2002 में 84वें संविधान संशोधन के तहत 2026 तक लोकसभा और विधानसभाओं की सीटों को बढ़ाने पर रोक लगा दी गई थी। इस संशोधन में उसके बाद पहली बार होने वाली जनगणना के आंकड़ों के आधार पर परिसीमन करने का प्रविधान किया गया था। अब चूंकि जनगणना फरवरी 2027 में होने जा रही है, इसलिए इसके आंकड़ों के आधार पर परिसीमन का मार्ग प्रशस्त होगा। लोकसभा और विधानसभाओं की सीटों की संख्या कितनी बढ़ेगी, यह परिसीमन आयोग तय करेगा, लेकिन यह माना जा रहा है कि लोकसभा की सीटें 800 से अधिक हो सकती हैं, जो वर्तमान में 543 हैं।
पिछला परिसीमन 2008 में संप्रग सरकार के दौरान हुआ था। इसे 2002 में संसद से पारित परिसीमन कानून के अनुसार किया गया था, जिसमें 2001 की जनगणना के आधार पर राज्यों के भीतर मौजूदा लोकसभा और विधानसभा सीटों के क्षेत्रों में बदलाव किया गया था। इससे पहले, 1951 से 1971 तक जनगणना के बाद परिसीमन आयोग का गठन होता रहा और लोकसभा तथा विधानसभाओं की सीटें बढ़ती रहीं। हालांकि, 1976 में 2001 तक परिसीमन पर रोक लगा दी गई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि जनगणना पूरी तरह से डिजिटल होने के कारण क्षेत्रवार आबादी के आंकड़े एक से डेढ़ महीने के भीतर जारी किए जा सकते हैं, जबकि पहले यह प्रक्रिया दो साल तक चलती थी। परिसीमन आयोग आमतौर पर इन आंकड़ों के बाद ही काम शुरू करता था। यही कारण है कि 2002 में गठित परिसीमन आयोग की सिफारिशों के आधार पर 2008 में सीटों का परिसीमन किया जा सका। इस बार, जनगणना के आंकड़े जल्दी आने के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों की डिजिटल मैपिंग भी उपलब्ध होगी। ऐसे में परिसीमन आयोग डेढ़ साल के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कर सकता है। एक बार सरकार द्वारा इन सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद नए परिसीमन के आधार पर लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव का मार्ग प्रशस्त होगा।
दक्षिण के राज्यों का रखा जाएगा ख्यालः शाह
दक्षिण के राज्यों की जनसंख्या वृद्धि पर प्रभावी नियंत्रण के कारण लोकसभा में हिस्सेदारी कम होने की आशंका को नए परिसीमन में ध्यान में रखा जाएगा। गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने संसद के भीतर और बाहर दक्षिण के राज्यों की लोकसभा सीटों को उत्तर भारत के राज्यों के समानुपात में बढ़ाने का आश्वासन दिया है। इसके तहत दक्षिण भारत के राज्यों में लोकसभा की सीटें उत्तर भारत के राज्यों की तुलना में कम जनसंख्या पर निर्धारित की जाएंगी। संविधान इसकी अनुमति भी देता है। वर्तमान में पूर्वोत्तर के राज्यों और अंडमान-निकोबार जैसे कई केंद्र शासित प्रदेशों में भी अपेक्षाकृत कम जनसंख्या पर लोकसभा की सीटें हैं।