वस्तीः कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालय का अब युग्मन (समायोजन या अटैच) होगा। नजदीक के अधिक नामांकन वाले विद्यालय से अटैच कर दिया जाएगा। इसको लेकर तैयारी शुरू हो गई है। ही विभाग कम नामांकन वाले विद्यालयों को सूचीबद्ध करेगा। इससे शिक्षकों की कमी भी दूर होगी। युग्मन के बाद जो विद्यालय भवन खाली होगा, उसको प्री प्राइमरी (को-लोकेटेड आंगनबाड़ी) के उपयोग में लाया जाएगा। अगर पहले से को-लोकेटेड आंगनवाड़ी केंद्र है, तो स्थानीय स्तर पर उस भवन को हेल्थ व वेलनेस सेंटर के प्रयोग में लाने के लिए दे दिया जाएगा।
जिले में 2,071 परिषदीय है। इसमें 1,436 प्राथमिक, 334 उच्च प्राथमिक व 301 कंपोजिट विद्यालय है। कुछ विद्यालयों में नामांकन कम होने की समस्या सामने आती है। शासन ने इसके लिए ऐसे विद्यालयों को युग्मन करने का निर्णय लिया। जिन विद्यालयों में नामांकन कम होगा, उन विद्यालयों को सूचीबद्ध किया जाएगा। उसके बाद आसपास के परिषदीय विद्यालयों में जहां नामांकन अधिक होगा, उस विद्यालय से कम नामांकन वाले विद्यालयों को युग्मन कर दिया जाएगा।
बेसिक शिक्षा विभाग इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी है।
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कम संख्या वाले स्कूलों में चलेगी बाल वाटिका
दीपक कुमार ने स्पष्ट किया है कि पेयरिंग के बाद खाली स्कूल बंद नहीं होंगे। नई शिक्षा नीति में पूर्व प्राइमरी शिक्षा पर जोर दिया गया है। ऐसे में तीन से छह साल के बच्चों के लिए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को बालवाटिका घोषित किया गया है। इसलिए संसाधनों के अधिकतम प्रयोग के दृष्टिगत शेष विद्यालयों का प्रयोग बाल वाटिका के रूप में किया जा सकेगा। इनको पास के प्राथमिक विद्यालयों का भाग माना जाएगा। यहां पर एक-एक ईसीसीई एजुकेटर तैनात करते हुए बच्चों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
कहीं 50 तो कहीं 20 छात्र संख्या आधार
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: शासन ने पेयरिंग के लिए छात्र संख्या निर्धारित नहीं की। ऐसे में बीएसए अलग-अलग संख्या को आधार बना रहे हैं। राजधानी लखनऊ व बदायूं के बीएसए ने 50 से कम नामांकन वाले तो मथुरा में 20 से कम नामांकन वाले स्कूलों व उनके पास के विद्यालयों की जानकारी मांगी है।