25 June 2025

एनईपी के आधार पर बनेगा अंग्रेजी का कोर्स, डीएलएड के लाखों प्रशिक्षुओं को मिलेगी मानक पाठ्य सामग्री

 

देश के 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और 2974 निजी कॉलेजों में संचालित डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) के अंग्रेजी विषय के पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप नए सिरे से तैयार किया जाएगा। आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान (ईएलटीआई) के विशेषज्ञों ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए अनिवार्य डीएलएड पाठ्यक्रम के दूसरे और चौथे सेमेस्टर में अंग्रेजी विषय पढ़ाया जाता है। इससे पहले 2014 में ईएलटीआई ने ही अंग्रेजी का पाठ्यक्रम विकसित किया था।



उस समय डीएलएड को बीटीसी के नाम जाना जाता था। 2014 के बाद से कई नए विषय आ गए हैं। सबसे महत्वपूर्ण एनईपी 2020 के तहत प्री प्राइमरी कक्षाओं का संचालन शुरू हो गया है जिसका जिक्र पुराने कोर्स में नहीं है। यही नहीं राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कक्षा एक से तीन तक की किताबें उत्तर प्रदेश की आवश्यकता अनुरूप ढालने के बाद शामिल कर ली गई है और आने वाले समय में आठवीं तक की एनसीईआरटी किताबें भी पढ़ाने की तैयारी है। एनसीईआरटी किताबों का कलेवर और पाठ्यवस्तु अलग है। लिहाजा उसी के अनुसार अंग्रेजी का कोर्स बनाया जाएगा ताकि डीएलएड का प्रशिक्षण ले रहे प्रशिक्षु लाभान्वित हो सकें। इसके अलावा एआई और लैंग्वेज लर्निंग भी रख रहे हैं। अंग्रेजी अध्यापन के लिए कंप्यूटर, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों का भी इस्तेमाल करेंगे। खास बात यह है कि नई किताबें विकसित करने से पहले डायट प्रशिक्षुओं का फीडबैक लिया गया है ताकि बदलाव की आवश्यकता को बेहतर तरीके से समझा जा सके।


गौरतलब है कि राज्य हिन्दी संस्थान वाराणसी ने पहली बार डीएलएड के चारों सेमेस्टर में पढ़ाई जाने वाली हिन्दी विषय की अधिकृत पुस्तकें तैयार की है। इससे पहले हिन्दी की प्रामाणिक पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध नहीं थी और प्रशिक्षुओं को केवल गाइड या अनाधिकृत प्रकाशकों की किताबों से ही पढ़ाई करनी होती थी।

डीएलएड के अंग्रेजी विषय का पाठ्यक्रम एनईपी 2020 के अनुरूप नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। इससे पहले 2014 में इसे बनाया गया था लेकिन तब से काफी बदलाव हुए हैं। एनसीईआरटी की किताबें भी शामिल हो गई हैं जिन्हें पढ़ने-पढ़ाने का तरीका अलग है। पाठ्यक्रम संशोधन से पहले डीएलएड प्रशिक्षुओं का फीडबैक लिया गया है।


-डॉ. स्कंद शुक्ल, प्राचार्य ईएलटीआई