प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी बिना किसी उचित कारण के पति से अलग रह रही है तो वह गुजारा भत्ता की हकदार नहीं है। इस टिप्पणी संग कोर्ट ने मोनिका गुप्ता की ओर से दायर आपराधिक पुनरीक्षण अर्जी खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की एकल पीठ ने दिया।
फतेहपुर निवासी मोनिका गुप्ता और अंबर गोयल की शादी पांच फरवरी 2017 को हुई थी। कुछ दिनों बाद दोनों के बीच संबंध खराब हो गए। इसके बाद पति व उसके परिवार के सदस्यों पर शारीरिक-मानसिक
प्रताड़ना का आरोप लगा मोनिका गुप्ता जून 2017 से मायके में रहने लगीं। इसके बाद उन्हों ने गुजारा भत्ता के लिए 19 सितंबर 2018 को पारिवारिक न्यायालय में अर्जी दाखिल की। दावा किया कि उनके पास गुजारा करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं। पारिवारिक न्यायालय ने इस आवेदन
को खारिज कर दिया। इसके बाद मोनिका ने हाईकोर्ट में आपराधिक पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की।
उनके अधिवक्ता ने दलील दी कि याची के पति बैंक में मैनेजर हैं। पति व उसके परिजन दहेज के लिए मारपीट कर मोनिका गुप्ता को घर से निकाल दिया है। ऐसे में वह गुजारा भत्ता की हकदार हैं।
वहीं, पति के अधिवक्ता ने दलील दी कि याची पत्नी ने एमए व पीएचडी की है और वह डिग्री कॉलेज में शिक्षिका हैं। उन्होंने तथ्यों को छिपाकर गुजारा भत्ता का दावा किया है। साथ ही बिना उचित कारण के वह पति से
अलग रह रही हैं। ट्रायल कोर्ट ने इन्हीं कारणों पर गुजारा भत्ता आवेदन को खारिज किया है। ऐसे में पुनरीक्षण अर्जी भी खारिज की जानी चाहिए।
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद पाया कि पत्नी बिना कारण के अलग रह रही थी। साथ ही यह भी पाया कि पति उन्हें लाने के लिए दो बार ससुराल गया लेकिन वह नहीं लौटी। दहेज की मांग के कारण शारीरिक व मानसिक क्रूरता के आरोपों को याची पत्नी साबित करने में विफल रही। इन आधारों पर कोर्ट ने पुनरीक्षण अर्जी खारिज कर दी। ब्यूरो