प्रदेश के 331 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नई भर्ती के लिए मिले अधियाचन में नए-पुराने का पेच फंसा है। कई महाविद्यालयों ने विज्ञापन संख्या 51 में भेजे जा चुके रिक्त पदों को नई भर्ती के लिए फिर से भेज दिया है। इस विसंगति के कारण उच्च शिक्षा निदेशालय के अधिकारी और कर्मचारी का सिर चकराया हुआ है और महाविद्यालयों से मिले रिक्त पदों में से एक-एक की छंटाई की जा रही है। विज्ञापन संख्या 52 में असिस्टेंट प्रोफेसर के 900 से अधिक पदों पर भर्ती का अनुमान है।
तीन साल पहले विज्ञापन संख्या 51 में जारी हो चुके पदों को हटाने के बाद बचे पदों को ही उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को ऑनलाइन माध्यम से भेजा जाएगा। 25 जुलाई को नवगठित आयोग में हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से उपलब्ध कराए गए ई-अधियाचन प्रारूप पर चर्चा हुई थी। एनआईसी के माध्यम से कार्मिक विभाग के निर्देशानुसार 15 दिन में पोर्टल तैयार करने को कहा गया था। तय हुआ था कि एनआईसी को पोर्टल विकसित करने में जो समय लगेगा उस दौरान उच्च शिक्षा निदेशालय के अधिकारी रिक्तियों का विवरण एकत्र करेंगे। उच्च शिक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक बीएल शर्मा के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर के सृजित और कार्यरत पदों का मिलान करते हुए रिक्त पदों का ब्योरा मांगा गया है। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को एक और पत्र लिख रहे हैं ताकि छूटे हुए सभी रिक्त पद मिल जाएं। उसके बाद ऑनलाइन माध्यम से आयोग को रिक्तियों का ब्योरा भेजा जाएगा। इस काम में एक सप्ताह का समय लगने की उम्मीद है।
कॉलेज प्रबंधक नहीं देते रिक्तियों का सही ब्योरा
महाविद्यालयों से असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों का ब्योरा लेना कठिन काम है। अधिकांश प्रबंधक खाली पदों की सही जानकारी नहीं भेजते। दो-चार पद रोके रखते हैं ताकि बाद में एकल स्थानान्तरण के नाम पर मनमानी कर सकें। हालांकि उच्च शिक्षा निदेशालय ने सृजित और कार्यरत पदों का मिलान करते हुए पदों का ब्योरा मांगा है इसलिए इस बार गड़बड़ी नहीं हो पाएगी।