सोनभद्र। सोनभद्र के मूल निवासी अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को मिले आरक्षण के अधिकार पर डाका डालने वालों की जिले में बड़ी संख्या है। करीब 126 लोग ऐसे हैं, जिन्होंने जातियों की सीमा लांघकर एससी कोटे से सरकारी नौकरी हासिल कर ली है। ये सभी मप्र के मूल निवासी हैं और वहां पिछड़ी जाति में हैं। यूपी की सीमा में मकान बनाकर कुछ समय से रहने के कारण उन्होंने एससी का प्रमाण पत्र हासिल कर लिया है। इसके अलावा सरकारी योजनाओं का भी लाभ ले रहे हैं।
यूपी में बैसवार जाति के लोगों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। वह गरीब, मजदूर और लघु सीमांत किसान हैं। उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए ही सरकार ने अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा है। मप्र की स्थिति इससे उलटी है। वहां इस वर्ग के अधिकांश लोग अच्छी पूंजी वाले हैं। सामाजिक और आर्थिक स्थिति के साथ उनकी राजनीतिक स्थिति भी मजबूत है। लिहाजा उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग में सूचीबद्ध किया गया है।
मप्र के सिंगरौली, सीधी और यूपी के सोनभद्र में इस जाति की अच्छी आबादी है।
तीनों जिलों की सीमाएं भी लगी हुई हैं। दोनों तरफ के लोगों की एक-दूसरे के बीच रिश्तेदारियां हैं। इसी का लाभ लेकर मप्र के लोग यूपी में आकर बस रहे हैं।
एससी बनकर सरकारी योजनाओं का भी ले रहे लाभ
सिर्फ सरकारी नौकरी ही नहीं अनुसूचित जाति की योजनाओं में भी बड़े पैमाने पर अपात्र लाभ ले रहे हैं। आकांक्षी जिला होने के कारण सोनभद्र में अनुसूचित जाति-जनजाति के उत्थान के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इसमें ओबीसी के लोग पात्र नहीं है, मगर एससी का प्रमाण पत्र होने से मप्र के बैसवार भी इसका लाभ उठा रहे हैं। शिक्षण संस्थानों में दाखिला, छात्रवृत्ति आदि योजनाएं प्रमुख हैं।
राजस्व विभाग के कर्मचारी नहीं करते जांच जाति, निवास, आय सहित अन्य प्रमाण पत्र तहसील स्तर से जारी होते हैं। इसमें लेखपालों की भूमिका महत्वपूर्ण है। ऑनलाइन आवेदन की जांच पड़ताल के बाद उन्हें रिपोर्ट लगानी होती है। नाम न छापने की शर्त पर लेखपालों ने बताया कि प्रमाण पत्र जारी करने के लिए समय सीमा तय होती है। महज 7-10 दिन में एक-एक अभ्यर्थी के बारे में पूरी छानबीन करना संभव नहीं होता। ऐसे में सिर्फ प्रधान, सभासद या अन्य ग्राम स्तर के प्रतिनिधियों की सहमति व आवेदक की ओर से प्रस्तुत शपथ पत्र को ही आधार बनाकर प्रमाण पत्र जारी कर दिए जाते हैं।
पुलिस भर्ती परीक्षा में सत्यापन के दौरान मिले फर्जी प्रमाण पत्रों को निरस्त कर दिया गया है। सभी लेखपाल-कानूनगो को निर्देश दिया गया है कि जाति, निवास प्रमाण पत्रों पर रिपोर्ट लगाने से पहले अपने स्तर से आवेदक के बारे में गहन छानबीन जरूर करें। भर्ती परीक्षाओं के समय विशेष सतर्क रहें। किसी भी लेखपाल के गलत रिपोर्ट लगाने की पुष्टि होती है तो उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। - वागीश शुक्ला, अपर जिलाधिकारी वित्त