उत्तर प्रदेश शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) संशोधन नियमावली 2025 के जरिए पदोन्नति कोटे में परिवर्तन के बाद शासन के उप सचिव सत्येन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव से खंड शिक्षा अधिकारियों की पदोन्नति के लिए कार्यवाही एवं डीपीसी बैठक के संबंध में प्रस्ताव मांगा है। हालांकि तमाम कोशिशों के बावजूद 13 साल बाद भी खंड शिक्षा अधिकारियों की पदोन्नति के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
तमाम कोशिशों के बावजूद 32 साल बाद पदोन्नति कोटा तो परिवर्तित हो गया लेकिन 2012-13 में खंड शिक्षाधिकारी कैडर में सम्मिलित नगर शिक्षा अधिकारियों की ओर से हाईकोर्ट में वरिष्ठता को लेकर दायर याचिका विचाराधीन होने के कारण पदोन्नति होना मुश्किल लग रही है। नगर शिक्षा अधिकारी का कैडर 1997 में डाईंग घोषित हो गया था और उन्हें 2012-13 में खंड शिक्षाधिकरी कैडर में शामिल कर लिया गया।
उत्तर प्रदेशीय विद्यालय निरीक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रमेन्द्र शुक्ला का कहना है कि नगर शिक्षा अधिकारियों को नियमानुसार वरिष्ठता सूची में सबसे नीचे होना चाहिए था लेकिन उनकी ओर से 2016 में याचिकाएं दायर कर दी गई जो विचाराधीन है।
उनका कहना है कि सरकार यदि हाईकोर्ट में पैरवी करके याचिका निस्तारण करवा दें तो पदोन्नति की अड़चन दूर हो जाएगी।
32 साल बाद पदोन्नति कोटे में हुआ संशोधन
शिक्षा विभाग में समूह ख (बीएसए एवं समकक्ष) के कुल पदों में से 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से जबकि 50 प्रतिशत पदोन्नति से भरे जाने की व्यवस्था है। पदोन्नति के लिए निर्धारित 50 प्रतिशत पद को भरने के लिए पहले अधीनस्थ राजपत्रित (प्रधानाध्यापक) पुरुष संवर्ग व महिला संवर्ग के अलावा निरीक्षण शाखा में कार्यरत अधिकारियों का कोटा क्रमश: 61, 22 व 17 प्रतिशत निर्धारित था। पूर्व में इनके पदों की संख्या भी क्रमश: 597, 222 व 179 निर्धारित थी। बाद में पुरुष व महिला संवर्ग और निरीक्षण शाखा के स्वीकृत पदों की संख्या बढ़कर क्रमश: 768, 807 व 1031 हो गई। इस मसले पर हाईकोर्ट में याचिका दायर होने पर शासन ने पदोन्नति कोटा क्रमशः 33 प्रतिशत पुरुष, 33 फीसदी महिला (अधीनस्थ राजपत्रित) जबकि 34 प्रतिशत निरीक्षण शाखा का निर्धारित कर दिया।