कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने सदस्यों की सुविधा के लिए पासबुक लाइट लांच किया है। इससे ईपीएफओ सदस्यों को दो अलग-अलग पोर्टल पर लॉगिन करने की जरूरत नहीं होगी।
अभी तक सदस्यों को पीएफ योगदान, निकासी और लेन-देन को देखने के लिए पासबुक पोर्टल पर अलग से लॉगिन करना पड़ता है जबकि खाते से निकासी के लिए अलग मेंबर पोर्टल पर लॉगिन करना होता है।
गुरुवार को केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि मौजूदा दोहरे लॉगिन सिस्टम के जरिए सदस्यों को काफी परेशानियां होती हैं। इससे पीएफ खाते का योगदान देखने से लेकर दावा करने तक की प्रक्रिया में देरी होती है। इससे शिकायतों में कमी होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।
पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाएगा स्थानांतरण प्रमाणपत्र: अब नौकरी बदलने पर कर्मचारी ‘संलग्नक-के’ यानी खाता स्थानांतरण प्रमाणपत्र सीधे मेंबर पोर्टल से पीडीएफ प्रारूप में डाउनलोड कर सकेंगे। इससे कर्मचारी को पीएफ ट्रांसफर से जुड़ी सारी प्रक्रिया पर नजर रखने और समय पर पीएफ को नए खाते में स्थानांतरित कराने में मदद मिलेगी। मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक जब कोई कर्मचारी नौकरी बदलता है तो उसका पीएफ खाता नए नियोक्ता के पीएफ कार्यालय में स्थानांतरित होता है।
सॉफ्टवेयर के तहत कई सारे मौजूदा िसस्टम में बदलाव पहले से किए जा चुके हैं
ईपीएफओ अभी अपने मौजूदा सिस्टम में सुधार कर रहा है। इसके लिए सॉफ्टवेयर 2.01 के तहत कई सारे बदलाव पहले से किए जा चुके हैं, जबकि कुछ नए सुधारों को अब लागू किया गया है। ईपीएफओ 3.0 सिस्टम पर भी काम चल रहा है, जिसके तहत सदस्यों को कोर बैंकिंग जैसी सुविधा प्रदान की जाएगी।
मामलों के त्वरित निपटान में मदद मिलेगी
ईपीएफओ ने पीएफ स्थानांतरण, सेटलमेंट, अग्रिम निकासी और रिफंड से जुड़े मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए भी बड़ा बदलाव किया है। अभी तक इन सभी मामलों में कई स्तर पर उच्च अधिकारियों की मंजूरी लेने की आवश्यकता होती है। बहुस्तरीय स्वीकृति प्रक्रिया के चलते लंबा समय लगता था लेकिन अब सहायक भविष्य निधि आयुक्त और सबऑर्डिनेट स्तर के अधिकारियों को मंजूरी का अधिकार दिया गया है। नए प्रावधान के हिसाब से पीएफ हस्तांतरण और निपटान, अग्रिम और पिछले संचय, रिफंड, चेक/ईसीएस/एनईएफटी रिटर्न, ब्याज समायोजन जैसे मामले सहायक भविष्य निधि आयुक्त और सबऑर्डिनेट स्तर के अधिकारी स्वीकृत कर सकेंगे। इससे दावों की लंबित संख्या घटेगी और प्रक्रिया में समय की कमी आएगी। साथ ही, फील्ड स्तर के अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ेगी।