नई दिल्ली। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी बेचते वक्त नगदीरहित इलाज का दावा करने वाली कंपनियां दावा धनराशि के भुगतान के लिए मरीजों और उनके परिजनों को चक्कर कटा रही हैं।
देशभर में ऐसी शिकायतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसमें मरीज के भर्ती होने पर बीमा कंपनी ने इलाज खर्च देने से इनकार कर दिया या फिर उतनी धनराशि का भुगतान नहीं किया, जितनी इलाज पर खर्च हुई। दावों को खारिज करने के लिए कंपनियां चिकित्सक की सलाह और मेडिकल जांच रिपोर्ट को दरकिनार कर रही हैं। मरीज जांच रिपोर्ट्स पर भर्ती हो रहे हैं लेकिन बीमा कंपनियां यह लिखकर दावे खारिज कर रही हैं बीमारी का इलाज ओपीडी में किया जा सकता था तो फिर भर्ती करने की क्या जरूरत थी? मरीज को वेंटिलेटर पर रखने की नौबत आई।
निजी कंपनियों की स्थिति ज्यादा खराब
एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि सबसे ज्यादा शिकायतें निजी बीमा कंपनियों को लेकर हैं। पता चलता है कि कंपनियां कागजों की बिना चिकित्सकीय जांच आपत्ति लगाई जा रही हैं। कई मामलों में मरीज के पहले से जमा कागज के बावजूद दोबारा मांग क्लेम बिना ठोस कारण खारिज कर दिया।
मामला-1: पांच दिन भर्ती रहा दो दिन का भुगतान दिया
सीने में संक्रमण से 54 वर्षीय एक मरीज को जून में अचानक अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। डॉक्टर को ओपीडी में दिखाया तो एक्सरे कराने पर पता चला कि फेफड़ों में संक्रमण से मरीज को सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है। उसे एक दिन वेंटिलेटर पर रखने की नौबत आई। पांच दिन के बाद मरीज ने अस्पताल से छुट्टी के बाद निजी बीमा कंपनी के पास अस्पताल में इलाज खर्च के लिए दावा किया। पहले बीमा कंपनी ने मरीज के भर्ती होने पर सवाल उठाया लेकिन जब अस्पताल ने सभी मेडिकल रिपोर्ट और दूसरे डॉक्टरों की सलाह से जुड़े दस्तावेज दिए तो बीमा कंपनी ने नया नियम लगाया। बीमा कंपनी ने कहा कि हमारे हिसाब से सक्रिय उपचार दो दिन का हुआ। इसलिए दो दिन का भुगतान किया जा रहा है। इस तरह से बीमा कंपनी ने दावा धनराशि 80 हजार में से सिर्फ 30 हजार का भुगतान किया। बाकी धनराशि मरीज को अपनी जेब से जमा करनी पड़ी।
मामला-2: ऑपरेशन खर्च का आज तक भुगतान नहीं
अप्रैल में 50 वर्षीय मरीज को अचानक से चक्कर आने और आंखों से दिखाई देने में परेशानी हुई। एमआरआई में पता चला कि मरीज के सिर में बड़ी गांठ है, जिसका ऑपरेशन तत्काल करना होगा। मरीज और परिजनों की सलाह के बाद तत्काल भर्ती कर ऑपरेशन शुरू किया गया। अस्पताल ने बीमा कंपनी से क्लेम मांगा। बीमा कंपनी ने अगले दिन तक कोई अप्रूवल नहीं दिया। अगले दिन अस्पताल ने तमाम रिपोर्ट भेजी तो बीमा कंपनी ने कहा कि अब ऑपरेशन हो चुका है तो मरीज अलग से दावा करके धनराशि ले लेगा। इस मरीज के परिजन तैयार हुए और उन्होंने ऑपरेशन का सारा खर्च अपनी जेब से भरा लेकिन कंपनी आज तक क्लेम देने को तैयार नहीं। हर बार कोई न कोई कागज मांग कर क्लेम को लटकाती आ रही है।