राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर विषय की एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) भर्ती को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई में बीएड और नॉन-बीएड अभ्यर्थी आमने-सामने आ गए हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा (षष्टम संशोधन) नियमावली 2024 में संशोधन करते हुए कंप्यूटर विषय की भर्ती में बीएड की अनिवार्यता से छूट संबंधी गजट 28 मार्च को जारी किया था।
संशोधित नियमावली में कंप्यूटर विषय की एलटी ग्रेड भर्ती में बीएड को अधिमानी अर्हता माना गया है। इसी आधार पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से 28 जुलाई को भर्ती का विज्ञापन जारी हो गया था। उसके बाद बीएड अर्हताधारी कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं की थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की 12 नवंबर 2014 की अधिसूचना के अनुसार, माध्यमिक विद्यालयों (कक्षा नौ से दस) में अध्यापक पद के लिए बीएड अनिवार्य है। ऐसे में सहायक अध्यापक भर्ती में मनमाने तरीके से बीएड को अधिमानी अर्हता नहीं रखा जा सकता। हाईकोर्ट ने 12 सितंबर को आदेश दिया था कि जब तक याचिका का अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक चयन प्रक्रिया जारी रह सकती है लेकिन नॉन-बीएड किसी भी अभ्यर्थी की नियुक्ति कोर्ट की अनुमति के बिना नहीं की जाएगी। इस बीच नॉन-बीएड अभ्यर्थियों ने भी हाईकोर्ट में याचिकाएं कर अपना पक्ष सुने जाने की गुहार लगाई है। राजकीय विद्यालयों की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में 7466 पदों में से कंप्यूटर के 1,056 पद शामिल हैं। इन पदों के लिए 70496 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है।
2018 में 10801 बीएड वालों ने दी थी परीक्षा
कंप्यूटर शिक्षक भर्ती में बीएड से छूट देने के पीछे अधिकारियों का तर्क है कि 2018 में पहली बार की गई भर्ती में बीएड धारक अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं होने के कारण अधिकांश पद रिक्त रह गए थे इसलिए छात्रहित में संशोधन करते हुए बीएड को सिर्फ वरीयता दी गई है। हालांकि अफसरों का तर्क हकीकत से दूर है। 2018 में बीएड अनिवार्य अर्हता थी और उस समय 1673 पदों के लिए 26846 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। इनमें से 10801 अभ्यर्थी कंप्यूटर विषय की भर्ती परीक्षा में शामिल हुए थे। हालांकि इनमें से सिर्फ 36 शिक्षकों का ही चयन हो सका था और 1637 पद खाली रह गए थे।

