रोजगार का संकट: टीईटी (UPTET) आजीवन मान्य, फिर भी 13 लाख बेरोजगार, डालिए आंकड़ों पर एक नजर

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) के प्रमाणपत्र आजीवन मान्य होने के बावजूद 2021 की यूपी-टीईटी के लिए मिले रिकॉर्ड आवेदन सूबे में डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) और बीएड योग्यताधारी बेरोजगारों की कहानी खुद बयां कर रहे हैं।


28 नवंबर को प्रस्तावित यूपी-टीईटी के लिए 13.52 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। 8,10,201 अभ्यर्थियों ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक दोनों स्तर के लिए फॉर्म भरा है जबकि 13,52,086 अभ्यर्थी सिर्फ प्राथमिक स्तर की परीक्षा में सम्मिलित होंगे। इस प्रकार दोनों स्तर की परीक्षा में कुल 21,62,287 अभ्यर्थी शामिल होंगे।

इतनी बड़ी संख्या में मिले आवेदन इसलिए भी चौंकाने वाले हैं क्योंकि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के निर्णय के बाद प्रदेश सरकार ने प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए अनिवार्य यूपी-टीईटी को बैक-डेट से आजीवन मान्य कर लिया है। यानि पिछले दस सालों में जितनी बार भी टीईटी हुआ है उसमें सफल अभ्यर्थियों को दोबारा परीक्षा में शामिल होने की आवश्यकता नहीं है। यही नहीं केंद्रीय शिक्षा पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) भी यूपी की भर्ती में मान्य है।

चूंकि आजीवन मान्य करने का निर्णय 2021 परीक्षा के ऑनलाइन आवेदन शुरू होने से पहले हो गया था, ऐसे में माना जा रहा था कि इस साल यूपी-टीईटी के लिए बहुत अधिक आवेदन नहीं आएंगे।

वैसे भी सरकार ने अब तक शिक्षक भर्ती की कोई घोषणा भी नहीं की है। लेकिन इसके बावजूद इस बार पिछले दस सालों का रिकॉर्ड टूट गया है। इससे पहले कभी भी इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने फॉर्म नहीं भरा था। 2019 की यूपी-टीईटी के लिए 1083016 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था जिनमें से 573322 ने दोनों स्तर की परीक्षा दी थी।

2018 की यूपी-टीईटी के लिए 1170786 बेरोजगारों ने आवेदन किया था। 2018 में कक्षा एक से आठ तक की शिक्षक भर्ती में बीएड मान्य होने के बाद से भी यूपी-टीईटी में आवेदकों की संख्या बढ़ी है।

रोजगार का संकट

● 2018 में 11.70 और 2019 में 10.83 लाख ने भरा था फॉर्म

● आजीवन मान्य होने के बाद संख्या घटने का था अनुमान