जिले के कॉलेजों में शिक्षकों की कमी से बाधित हो रही पढ़ाई


प्रतापगढ़। जिले के कॉलेजों में शिक्षकों की कमी से छात्र छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कई वर्षों से शिक्षकों के न होने के कारण छात्र-छात्राओं को कोचिंग का सहारा लेना पड़ रहा है।



जिले में 4 राजकीय, सात अनुदानित सहित कुल 163 कॉलेज संचालित हो रहे हैं। हर साल कॉलेजों में सैकड़ों छात्र छात्राएं प्रवेश लेते हैं। इसके बाद शिक्षकों की कमी के चलते छात्र- छात्राओं को कोचिंग का सहारा लेना पड़ता है। जिससे अभिभावकों पर कॉलेज की फीस के साथ कोचिंग के खर्च का बोझ भी बढ़ जाता है। शहर के एमडीपीजी कॉलेज में एमकॉम में एक भी शिक्षक नहीं हैं। यही स्थिति अंग्रेजी और समाजशास्त्र विषय की है। जबकि मानक के अनुसार चार-चार शिक्षक होने चाहिए। अर्थशास्त्र और भूगोल विषय मे एक-एक शिक्षक हैं। यही स्थिति कला संकाय के सभी विषयों की है। कामर्स में 9 के स्थान पर 3, केमेस्ट्री में 1, बायो में 2 और गणित में भी एक ही शिक्षक से काम चलाया जा रहा है। केवल एमडीपीजी ही नहीं, लगभग सभी अनुदानित और राजकीय कॉलेजों में शिक्षकों की काफी कमी है जिसके कारण छात्र-छात्राओं का पठन पाठन प्रभावित हो रहा है। सत्र 2022 के जून माह में कई शिक्षक रिटायर हो जाएंगे। जिससे शिक्षकों की संख्या और कम हो जाएगी। एमडीपीजी के जनसूचना अधिकारी डॉ. सीएन पांडेय ने बताया कि एमडीपीजी कॉलेज सहित लगभग सभी महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी है। जिसका प्रभाव अध्ययन अध्यापन पर पढ़ना स्वाभाविक है।


कॉलेजों को मान्यता देते समय शिक्षकों की उपस्थिति का प्रमाण पत्र देना होता है। जिन कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है, वहां संचालकों को योग्य शिक्षकों का अनुमोदन विश्वविद्यालय से कराकर पठन-पाठन की व्यवस्था करनी
चाहिए। एसके शुक्ल, कुलसचिव, राज्य विश्वविद्यालय