अनुदेशकों की भर्ती पुराने नियम से करें: हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि चयन करने वाली संस्था को चयन प्रक्रिया में बदलाव करने का अधिकार नहीं है। साथ ही आयोग विज्ञापन के समय के नियमों के तहत भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए बाध्य है।

इसी के साथ कोर्ट ने उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा विज्ञापित 2015 व 2016 में कुल 850 अनुदेशकों की भर्ती 2014 की नियमावली के अनुसार यथाशीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया है। वर्ष 2014 की नियमावली में शैक्षणिक योग्यता व साक्षात्कार से भर्ती करने की व्यवस्था है। कोर्ट ने आयोग द्वारा भर्ती परीक्षा कराने के सरकार को भेजे 28 जनवरी 2020 के प्रस्ताव को रद्द कर दिया है। साथ ही विशेष सचिव के तीन नवंबर 2021 के आदेश को भी रद्द कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने अरविंद कुमार व तीन अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा सरकार ने 2020 व 2021 की अनुदेशकों की भर्ती 2017 की नियमावली के तहत भर्ती परीक्षा से कराने का आदेश दिया है जो इन भर्तियों पर लागू नहीं होता।


याची के अधिवक्ता अंकुर शर्मा का कहना था कि आयोग को खेल के बीच खेल के नियम बदलने का अधिकार नहीं है। इस भर्ती के दो अन्य पदों को पहले ही भरा जा चुका है। शेष 850 पदों की भर्ती प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है।

अब शैक्षणिक योग्यता व साक्षात्कार की बजाय परीक्षा नहीं कराई जा सकती। कोर्ट ने 11 नवंबर 2021 के आदेश को यह कहते हुए रद्द नहीं किया कि इससे कानूनी उलझन बढ़ जाएगी। कोर्ट ने कहा कि दो पदों का चयन होने से यह नहीं कह सकते कि अभी चयन प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।