प्रयागराज। भर्तियों में भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के मुद्दे पर भर्ती संस्थाओं के खिलाफ मोर्चा खोल चुके प्रतियोगी छात्रों ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती के मामले में प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। प्रतियोगी छात्रों ने सरकार से पूछा है कि इतनी बड़ी संख्या में पद खाली होने के बावजूद भर्तियां क्यों नहीं निकाली जा रही हैं?
उन्होंने रिक्त पड़े एक लाख पदों पर भर्ती की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकारी प्रिंटिंग प्रेस में पेपर छपवाए जाने की मांग की है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने सोशल मीडिया पर अपना मांग पत्र जारी किया है और शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि 68500 और 69000 शिक्षक भर्ती में 51 हजार पद खाली रह गए थे। परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने इससे संबंधित एक हलफनामा न्यायालय में दाखिल किया है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में शिक्षक रिटायर हुए हैं। इस प्रकार परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के तकरीबन एक लाख पद खाली हैं। प्रतियोगी छात्र यह भी चाहते हैं कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती में परीक्षा के आधार पर चयन किया जाए और एकेडमिक मेरिट जोड़ने वाली प्रक्रिया को समाप्त किया जाए। प्रतियोगी छात्रों ने उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) में पेपर आउट प्रकरण के मामले में मांग की है कि सिर्फ सरकारी प्रिंटिंग प्रेस में ही पेपर छपवाए जाएं। छात्रों ने शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में तैनात सभी अफसरों एवं कर्मचारियों की संपत्तियों का विवरण सार्वजनिक करने की मांग की है, ताकि पेपर आउट होने की स्थिति में किसी की जिम्मेदारी तय की जा सके। प्रतियोगी छात्रों ने प्रत्येक वर्ष प्राथमिक शिक्षक भर्ती आयोजन किए जाने और आगामी दो वर्षों में रिटायर होने वाले शिक्षकों के रिक्त पदों को भर्ती में शामिल किए जाने की मांग भी की है। छात्र चाहते हैं कि प्राथमिक या उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में तैनात अनुदेशकों को नियमित शिक्षक बनाया जाए, प्रत्येक विद्यालय में विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति प्राथमिक शिक्षक के रूप में की जाए और शिक्षा मित्रों को बहुउद्देश्यीय कर्मी के रूप में उसी विद्यालय में स्थायी किया जाए एवं उनके सेवाकाल को जोड़ा जाए । प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय और मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना कि प्राथमिक शिक्षा देश की व्यवस्था की नींव है। इसलिए रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए और योग्य शिक्षकों का ही चयन किया जाए।