महज 15 साल में भवन जर्जर , अब होगी बनवाने वाले शिक्षकों से रिकवरी


लखीमपुर खीरी। बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों में अतिरिक्त कक्षा कक्ष के निर्माण में इस कदर धांधली हुई कि 13 से 14 साल में ही पठन कक्ष जर्जर हो गए। दर्जन भर पठन कक्ष 20 से 25 साल में ही जर्जर घोषित कर दिए गए। यहां खास यह है कि विद्यालयों में कक्षाओं का निर्माण संबंधित विद्यालयों के शिक्षकों के द्वारा ही कराया गया था। घटिया निर्माण सामग्री के प्रयोग से यह भवन समय से पहले ही जर्जर हो गए। 15 साल के अंदर जर्जर हुए कक्षा कक्षों का निर्माण कराने वाले शिक्षकों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने के साथ ही रिकवरी कराई जाएगी।

जनपद में कुल 709 परिषदीय विद्यालयों के कक्षा कक्ष जर्जर घोषित किए गए हैं, जिसमें निघासन ब्लॉक में करीब 29 कक्ष जर्जर हैं। निर्माण के 15 वर्ष के अंदर जर्जर होने वाले कक्षा कक्ष के मामलों में विभाग ने निर्माण कराने वाले शिक्षकों पर विभागीय कार्रवाई करने के साथ ही रिकवरी कराने के आदेश दिए हैं। लिहाजा कार्रवाई होने तक ऐसे जर्जर भवनों की नीलामी नहीं की जाएगी।

निघासन ब्लॉक में दो विद्यालयों के कक्षा कक्ष 15 साल के अंदर जर्जर घोषित किए गए हैं, जिससे इनका निर्माण कराने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई होना तय माना जा रहा है। उच्च प्राथमिक विद्यालय मटहिया में कक्षा कक्ष समेत भवन का निर्माण 2007 में करीब 13 लाख की लागत से कराया गया था, जिसके बाद यह भवन 2021 में जर्जर घोषित कर दिया गया। इसमें घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग किए जाने से ऐसी हालत हुई है। इसी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय ढखवा गदनिया में वर्ष 2008 में करीब 6.29 लाख की लागत कक्षा कक्षों का निर्माण कराया गया था, लेकिन खराब गुणवत्ता के चलते यह भवन भी कुछ सालों में ही जर्जर अवस्था में पहुंच गया। इससे 2021 में इसे भी जर्जर घोषित कर दिया गया। इसके अलावा प्राथमिक विद्यालय फरदहिया में 19 वर्ष, प्राथमिक विद्यालय मुंशीगढ़ में 16 वर्ष, प्राथमिक विद्यालय रहीमपुरवा में 17 वर्ष के अंदर कक्षा कक्ष जर्जर हो गए हैं।

पूरे जनपद के 709 विद्यालयों में जर्जर भवन घोषित किए गए थे, जिनके ध्वस्तीकरण के लिए नीलामी प्रक्रिया चल रही है। निर्माण की तिथि से 15 वर्ष के अंदर जर्जर होने वाले कई कक्षा कक्ष हैं, जिसमें शासन ने विभागीय कार्रवाई व रिकवरी के आदेश दिए हैं। निघासन में दो कक्षा कक्ष 15 वर्ष के अंदर जर्जर हुए हैं, जिनका निर्माण कराने वाले शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के साथ ही रिकवरी की जाएगी। इसके बाद ही इन जर्जर भवनों को नीलाम किया जाएगा।

डॉ. लक्ष्मीकांत पांडेय, बीएसए