यूपी में प्राइवेट स्कूलों की फीस 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ेगी। कोरोना के कारण निजी स्कूलों की शुल्क बढ़ोतरी पर लगाई गई रोक हटा ली गई है। बीते दो शैक्षिक सत्रों वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 में कोविड के कारण फीस नहीं बढ़ाई गई थी। अब वर्तमान शैक्षिक सत्र 2022-23 से फीस बढ़ने से अभिभावकों की जेब पर बोझ बढ़ेगा। उन्हें अब ज्यादा फीस देनी होगी। बीती सात जनवरी 2022 को कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए इस सत्र में भी फीस बढ़ाने पर रोक लगाई गई थी लेकिन अब इसे हटा लिया गया है।
अपर मुख्य सचिव, माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला की ओर से फीस बढ़ोतरी के आदेश जारी कर दिए गए हैं। स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वह शैक्षिक सत्र 2022-23 में फीस बढ़ोतरी के लिए नवीनतम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को आधार माना जाए और इसमें वर्ष 2019-2020 की फीस में अधिकतम पांच प्रतिशत की वृद्धि कर इसे जोड़ लें। यानी इस समय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 5.06 प्रतिशत है और इसमें 5 प्रतिशत जोड़ने पर कुल बढ़ोतरी 10.06 प्रतिशत होगी। यानी अगर किसी विद्यार्थी की मासिक फीस 1000 रुपये है तो उसमें 100 रुपये की वृद्धि होगी। यानी अब उसे प्रति माह 1100 रुपये फीस देनी होगी।
उत्तर प्रदेश स्वावित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियम) अधिनियम 2018 की धारा- 4 (2) अंतर्गत शुल्क बढ़ोतरी के इस निर्धारित फार्मूले का पालन सख्ती से करना होगा। अगर किसी स्कूल ने ज्यादा फीस बढ़ाई तो कार्रवाई होगी। अगर कोई स्कूल ज्यादा फीस वसूलता है तो अभिभावक जिला शुल्क नियामक समिति से शिकायत की जा सकती हैं। अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, उप्र के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने सात जनवरी 2022 को कोविड के कारण शुल्क बढ़ोतरी पर लगाई गई रोक हटाए जाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया है।