केजीबीवी में नवीनीकरण न होने से 2500 से ज्यादा पुरुष कर्मी होंगे बाहर, कई संविदा कर्मियों की उम्र 50 साल, कहा - अब इस उम्र में कहां जाएंगे



लखनऊ। प्रदेश के 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में संविदा पर कार्यरत पुरुष कर्मचारियों के नवीनीकरण न करने के निर्णय से करीब 2500 कर्मियों पर असर पड़ेगा। इनमें कई ऐसे भी हैं जो जिले में विद्यालय की स्थापना के समय से काम कर रहे हैं। अब सवाल उठाया जा रहा है कि 50 साल की उम्र में अचानक बाहर किए जाने के बाद वे कहां जाएंगे। वहीं 2020 में इन विद्यालयों से हटाए गए मुख्य विषय के संविदा शिक्षक अभी तक कोर्ट में इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में 2020 में मुख्य विषय हिंदी, गणित, विज्ञान, अंग्रेजी आदि में संविदा पर कार्यरत पुरुष शिक्षकों को हटाने का निर्णय लिया गया था। उस समय भी लगभग दो हजार संविदा शिक्षक इस निर्णय से प्रभावित हुए थे। वह अभी तक पहले हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट में इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं अब संविदा शिक्षक, लेखाकार, चौकीदार, चपरासी आदि

सभी पुरुष कर्मचारियों का नवीनीकरण न करने का आदेश जारी होने से लगभग तीन हजार कर्मी प्रभावित होंगे।

लेखाकार के पद पर तैनात एक संविदा कर्मचारी ने बताया कि 2007 में जब जिले में केजीबीवी की स्थापना हुई, तब से काम कर रहे हैं। उम्र लगभग 50 साल है, अब कहां नौकरी लगेगी। इस विद्यालय को अपने घर तक तरह संवारा है। विभाग ने एक झटके में बाहर करने का निर्णय लिया है। यहां से हमारा परिवार चल रहा था, अब क्या करें, कुछ समझ नहीं आ रहा है। ऐसे बहुत से कर्मचारी हैं, जिन पर इस फैसले का असर पड़ेगा।

विद्यालयों का संचालन भी होगा प्रभावित : वहीं पुरुष कर्मचारियों को हटाए जाने से विद्यालयों का संचालन प्रभावित होगा। पठन-पाठन के साथ ही डीजल लाने, सब्जी लाने, गैस लाने, छात्रावास की रात में सुरक्षा व किसी छात्रा के बीमार आदि पड़ने पर उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने की व्यवस्था करना महिला कर्मचारियों के लिए दिक्कत वाला होगा। ऐसे में पुरुष चौकीदार, चपरासी आदि को भी हटाने का निर्णय काफी अव्यवहारिक है। वहीं पहले से हटाए गए शिक्षकों का कहना है कि अभी तक मुख्य विषयों में नियमित नियुक्ति नहीं हो पाई है, जिसका असर कहीं न कहीं विद्यालय की बच्चियों की पढ़ाई पर ही पड़ रहा है।


शासन की ओर से जारी आदेश का हम कड़ा विरोध करते हैं। इस निर्णय से सैकड़ों पुरुष कर्मियों की सेवाएं समाप्त हो जाएंगी। पुरुष कमियों से बालिकाओं की सुरक्षा को खतरा है, एक आधारहीन बात है। क्योंकि गत 10- 15 वर्षों से कार्यरत कर्मियों पर आज तक किसी भी प्रकार का कोई आरोप नहीं है। पूर्व में हटाए गए संविदा शिक्षकों को लेकर उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। इस पर जल्द निर्णय होगा।
-सुनील कुमार तिवारी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन