साढ़े सात साल बाद आयोग को फिर लगा झटका



साढ़े सात साल बाद आयोग को फिर लगा झटका
प्रयागराज,। वर्ष 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से अपनी छवि सुधारने में लगे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा निरस्त होने के कारण साढ़े सात साल में दूसरा बड़ा झटका लगा है। वन टाइम रजिस्ट्रेशन (ओटीआर) लागू से लेकर साक्षात्कार की गोपनीयता में संघ लोक सेवा आयोग के मानकों से भी एक कदम आगे बढ़कर प्रतियोगी छात्रों के लिए काम कर रहे यूपीपीएससी को पेपर लीक के इस सदमे से बाहर निकलने में समय लगेगा।

इससे पहले समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में आरओ/एआरओ 2016 की परीक्षा भी पेपर लीक के कारण निरस्त करनी पड़ी थी। पेपर लीक के कारण आरओ/एआरओ 2016 की भर्ती पूरी होने में पांच साल का समय लग गया था। पांच अप्रैल 2021 को अंतिम परिणाम घोषित होने के साथ उस विवाद का अंत हुआ था। 27 नवंबर 2016 को 21 जिलों के 827 केंद्रों पर आयोजित आरओ/एआरओ-2016 की प्रारंभिक परीक्षा में 3,85,191 अभ्यर्थी पंजीकृत थे। लखनऊ के एक केंद्र से व्हाट्सएप पर पेपर वायरल होने पर पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।