23 August 2024

परिषदीय विद्यालयों की छतों से टपक रहा है ‘भ्रष्टाचार, जिम्मेदारों ने निर्माण के समय क्या देखा

 

फतेहपुर/खागा, : सालों पहले स्कूल भवन का निर्माण कराते समय हुए भ्रष्टाचार को अब स्कूली छात्र व शिक्षक भुगत रहे हैं। चंद रूपए बचाने के लिए तमाम स्कूलों की छतों पर लिंटर के बाद प्लास्टर नहीं किया गया, जिसके चलते कई परिषदीय स्कूलों की छतों से क्लासरूम में पानी टपकता है। इससे बारिश में पठन पाठन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।




भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसे देखना हो अपने आसपास के कई परिषदीय स्कूलों की छत पर चढ़ जाइए। इनमें से कुछ स्कूलों की छतों पर आपको प्लास्टर नहीं मिलेगा। जिसका नतीजा यह है कि लगातार बारिश के चलते छतों से कक्षा कक्षों में पानी टपकने लगा है। प्लास्टर न होने से छत बारिश के पानी को धीरे धीरे सोखने लगती है। पर्याप्त नमी होने के बाद पानी नीचें गिरने लगता है। एक दो कमरों में यह समस्या हो तो शिक्षक पैसों की व्यवस्था कर उसे दुरूस्त भी करा लें लेकिन जब समूचे स्कूल की ही छत में प्लास्टर न हो तो शिक्षक क्या करें, यह लाख टके का सवाल है।


सर्वे के बाद विभाग कराए प्लास्टर

सूत्र बताते हैं कि विभाग जर्जर भवनों की सूचनाएं तो एकत्र करता है लेकिन ऐसी समस्याओं पर बहुत अधिक गंभीरता नहीं दिखाता है। लोगों का कहना है कि विभाग सर्वे कराकर ऐसे विद्यालयों को चिन्हित करे और प्लास्टर विहीन छतों की मरम्मत व प्लास्टर की जिम्मेदारी स्वयं उठाए या फिर पंचायती राज विभाग के जरिए समस्या का समाधान कराए।



जिम्मेदारों ने निर्माण के समय क्या देखा

सवाल उठाए जा रहे हैं कि जिस समय ऐसे परिषदीय विद्यालयों का निर्माण किया जा रहा था तो उस समय इसकी जांच क्यों नहीं हुई। डीसी निर्माण, बीईओ व बीएसए क्या कर रहे थे। सूत्र बताते हैं कि स्कूल भवन व अतिरिक्त कक्षा कक्ष के निर्माण में कमीशन खोरी के चलते कमियों को दबाकर स्कूल भवनों को पास कर दिए जाने की परम्परा रही है।