मथुरा। परिषदीय स्कूलों में एआरपी (एकेडमिक रिसोर्स पर्सन) नियुक्त नहीं होने के चलते शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। ऐसे में निपुण भारत लक्ष्य की प्राप्ति मुश्किल है। नियुक्ति प्रक्रिया को साल भर पूरा हो चुका है, मगर अब भी 34 एआरपी के पद रिक्त हैं। जबकि पिछले एआरपी का कार्यकाल 31 मार्च को पूरा हो चुका था। इधर चार दिसंबर से निपुण भारत लक्ष्य की शुरुआत हो रही है। इन हालातों में परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षण सामग्री मिलना कैसे संभव है।
जिले में एकेडिक रिसोर्स पर्सन के 55 पद हैं। जिनमें से 21 पदों पर एआरपी की तैनाती है। जबकि 34 पद रिक्त हैं। एआरपी नियुक्ति में मुख्य विकास अधिकारी ने सख्त चयन प्रक्रिया अपनाई थी। यही वजह है कि तमाम शिक्षकों को फेल कर दिया गया था। बीएसए रतन कीर्ति का कहना है कि निपुण लक्ष्य कार्यक्रम की तिथि स्थगित कर दी गई है। एआरपी की तैनाती की प्रक्रिया जल्द ही शुरू कराई जाएगी।
एआरपी के ये हैं कार्य
एआरपी नियमित रूप से स्कूलों का दौरा करते हैं और शिक्षण गतिविधियों का अनुश्रवण (मॉनिटरिंग) करते हैं। पढ़ाई में शिक्षकों का सहयोग करते हैं। वे अपने साथ शिक्षण सहायक सामग्री (टीएलएम) का बैग रखते हैं और स्कूलों में शिक्षकों के सामने उसका प्रदर्शन करते हैं, ताकि शिक्षक भी उनका प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें। वे शिक्षकों को बेहतर शिक्षण रणनीतियों के बारे में प्रशिक्षण देते हैं। जिससे छात्रों को सीखने के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है। प्रेरणा एप और दीक्षा एप जैसी सरकारी पहलों का व्यापक प्रचार-प्रसार करते हैं।
कहां कितने रिक्त पद
गोवर्धन में एक, फरह में तीन, नंदगांव में तीन, मथुरा में एक, छाता में चार, चौमुहां में तीन, नौहझील पांच और बलदेव में पांच, मांट और राया में चार-चार और नगर क्षेत्र में एक एआरपी का पद रिक्त है।

