कमीशनखोरी प्रकरण का शासन ने भी लिया संज्ञान, निदेशक बेसिक शिक्षा ने बीएसए व पीड़ित को किया तलब
गोंडा: जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय बेसिक शिक्षा पर गत तीन माह से काली नजर लग गई है। गत 24 अगस्त को न्यायालय के आदेश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल कुमार तिवारी व तत्कालीन वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा सिद्धार्थ दीक्षित समेत आठ लोगों पर मुकदमा लिखा गया था।
आरोप है कि कूटरचना कर सहायता प्राप्त (एडेड) विद्यालय में अनामिका शुक्ला की अध्यापक पद नियुक्ति दर्शा कर वेतन का भुगतान किया गया है। एसटीएफ ने बीएसए और लेखा कार्यालय से संबंधित कर्मियों व अधिकारियों के बयान दर्ज कर जांच भी प्रारंभ कर दी। संबंधित प्रकरण के अभिलेख भी ले गई है। उधर न्यायालय से गिरफ्तारी न करने का स्थगन आदेश मिला है। कमीशन मांगने के आरोप में मुकदमा लिखे जाने के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व ददेोनों जिला समन्वयक
अवकाश पर चले गए हैं। पूरे जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दफ्तर में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। दूसरी ओर जिले के 28 एडेड विद्यालयों में अध्यापकों व कर्मियों की तैनाती और उनके वेतन भुगतान किए जाने की जांच एसआइटी कर रही है। हालात यह हैं कि वित्त एवं
लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा का पद संभालने को कोई नहीं तैयार है। वहीं तीन लेखाकार का स्थानांतरण गत माह लखनऊ से यहां के लिए हुआ है, लेकिन वह भी प्रभार लेने से कतरा रहे हैं।
10 हजार से अधिक अध्यापकों और कर्मियों के वेतन, बोनस, एरियर सहित अन्य कार्य के निस्तारण के लिए वर्तमान में एक लेखाकार व दो लेखा लिपिक की ही तैनाती हैं। इनमें से लेखा लिपिक अनुपम पांडेय को एसआइटी की जांच में सहयोग के लिए लगाया गया है। साथ ही एसटीएफ भी उनसे जांच के लिए बुलाती रहती है। ऐसे में 10 हजार शिक्षकों व कर्मियों के वेतन सहित फाइलों के निस्तारण पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
वीएसए व पीड़ित को निदेशक ने किया तलव
फर्नीचर आपूर्ति करने के मामले में कमीशन मांगने के आरोप में मुकदमा दर्ज होने के बाद अब शासन ने अपने स्तर से भी जांच प्रारंभ कर दी है। निदेशक बेसिक शिक्षा ने प्रकरण का संज्ञान लेते हुए बीएसए और पीड़ित मनोज पांडेय को तलब किया था। प्रभारी बीएसए आरके सिंह ने कहा कि बीएसए अवकाश पर हैं। इसकी सूचना निदेशक बेसिक शिक्षा को भेजी जा रही है। बीएसए के आने पर वह निदेशक के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे।

