यूपी में नागफनी की खेती कर किसान जल्द ही समृद्ध बनेंगे। उद्यान विभाग प्रदेश के किसानों से बड़े पैमाने पर नागफनी की कॉमर्शियल खेती कराने जा रहा है। जैसे ही किसानों का यह उत्पाद तैयार होगा विभाग खेत से ही औद्योगिक इकाइयों के माध्यम से नागफनी के पत्तों की खरीद भी कराएगा।
औद्योगिक इकाइयां इन पत्तों से दवाएं एवं सौन्दर्य प्रसाधन का उत्पादन करेंगी। फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट (विटालिन), विटामिन सी एवं मिनरल्स से भरपूर नागफनी का पौधा किसानों को अच्छी आमदनी देकर प्रदेश की वन ट्रिलियन इकॉनामी में बड़ा सहयोगी बनेगा।
पहले चरण में 37 जिलों में होगी खेती: प्रदेश के 37 जिलों में पहले चरण में मुख्य फसलों के साथ मेड़ों व अन्य खाली पड़ी भूमि समेत ऊसर, बंजड़ एवं बीहड़ भूमि को चिन्हित कर उस पर इसकी खेती कराई जाएगी। बुन्देलखण्ड एवं विन्ध्य क्षेत्र के अलावा अन्य स्थलों को भी विभाग इसके लिए चिन्हित कर रहा है। उद्यान विभाग इसके लिए किसानों को सारा निवेश (पौधे खाद आदि) भी फ्री में मुहैय्या कराएगा। फसल नष्ट होने या खराब होने पर विभाग अनुदानित दर पर पुन: पौधे मुहैय्या कराएगा। किसानों को तकनीकी जानकारियां दी जाएगी।
ड्रैगन फ्रूट की हो रही खेती
उद्यान विभाग प्रदेश के 18 जिलों में पहले से नाग़फनी प्रजाति के ड्रैगन फ्रूट (कम्बलम) की व्यवसायिक खेती करा रहा है। इन 18 जिलों के 90 ग्राम पंचायतों में खेती की जा रही है। ये 18 जिले हैं, गोरखपुर, संतकबीरनगर, प्रयागराज, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, सुलतानपुर, जौनपुर, बाराबंकी, वाराणसी, चन्दौली, अमरोहा, सहारनपुर, शामली, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, अलीगढ़।
बहुत उपयोगी है नागफनी
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. ओएन सिंह कहते हैं कि इसमे मौजूद फाइबर कब्ज को दूर करता है और आंतों के स्वस्थ्य बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है। इसमें विटालिन जैसे एन्टीआक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर के पुराने सूजन को कम करता है, जिससे गठिया और हृदय रोगियों का खतरा घटता है। ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता हैै। इम्यूनिटी बढ़ाने में भी यह सहायक है।
