संकट में सरकारी कर्मचारी काम करें और सामान्य दिनों में NGO वाले अच्छे,सरकार की ये दोहरी मानसिकता क्यों??


*संकट में सरकारी कर्मचारी काम करें और सामान्य दिनों में NGO वाले अच्छे,सरकार की ये दोहरी मानसिकता क्यों???*
इस भयंकर कोरोना मायामारी के समय यह #एनजीओ कहां थे?? कितनों की मदद किए? महामारी रोकथाम के लिए कितनों ने अपनी सेवाएं दी ? चुनाव में ड्यूटी कितनों की लगाई ग्ई ?,


मतगणना में कितने लगे, नही लगाई गई तो क्यो नही लगाई गई? जब शिक्षक कर्मी विरोध कर रहे थे तो उन्हें छोड़ कर इन्ही #काबिल NGO वालो की लगा देते । जब संकट काल था तब तो एनजीओ दिखाई नहीं पड़े?? और अब सामने आ रहे हैं ।
 एक बात पर और गंभीता से गौर करिएगा कि ये एनजीओ किसके है, कौन है इनके मालिक, थोड़ा पता लगा कर बताइएगा जरूर । 
          लगे हाथ एक सलाह भी सरकार को , #महानिदेशक स्कूली शिक्षा के पद पर इन्ही के मालिक को क्यो न बैठा दिया जाये वो भी तो काबिल ही होगा और कम पैसे मे ज्यादा काम हो जायेगा। 
            साथियों यह एक बहुत बड़ी साजिश है सारी व्यवस्था का निजीकरण करने की तैयारी है बहाने अलग अलग ,तरीके अलग अलग हो सकते हैं इसीलिए सभी को एनपीएस और #निजीकरण के खिलाफ एकजुट होना पड़ेगा, क्योंकि सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भागना चाहती है। उसका एक काम टैक्स लेना चुनाव लड़ना ,जितना बस इतना ही उनके लिए #प्रजातंत्र है इसके अलावा और कुछ नहीं।
*#NPSनिजीकरणभारतछोड़ो*

*अटेवा पेंशन बचाओ मंच उत्तर प्रदेश*