हेडमास्टर नहीं पहुंची स्कूल, बच्चों एवं शिक्षक गेट के बाहर करते रहें इंतज़ार, पढ़े क्या है मामला
उन्नाव। जहां एक तरफ सरकारी स्कूलों school में अपने भविष्य को निखारने का स्वप्न देखने वाले नौनिहाल बडी ललक व उत्साह के साथ स्कूल जाते है। इस उम्मीद के साथ कि उन्हे शिक्षा के मंदिर में शिक्षा गृहण करने का सौभाग्य प्राप्त कर सकेंगे। लेकिन उसी शिक्षाा के मंदिर में जब ताला लटक रहा हो तो नौनिहाल क्या उम्मीद रखेंगें और उनमें किस तरह के कौशलों का विकास होगा यह आप सभी भांली प्रकार समझ सकते है। एक पुरानी बात याद आ रही है जब पुराने शिक्षक Teacher बच्चों को समझाते थे कि शिक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शिक्ष् धातु से हुई है और शिक्षा रुपी अमृत वहीं बरसता है जहां इच्छा रुपी मटकी होती है।
कहने का आशय यह है कि बालक जब तक शिक्षा के प्रति सजग व इच्छुक नही होगा तब तक शिक्षा बालक के लिए बेमकसद है। बीघापुर के एक प्र्राथमिक विद्यालय school में तो उल्टा ही देखने को मिल रहा है। यहां स्कूल के प्रधान शिक्षक ही उदासीन है। यहां पर ढाक के तीन पात वाली कहावत लागू हो रही है। बीघापुर खंड शिक्षा अधिकारी को दिए गए शिकायती पत्र में शिक्षकों techers ने बताया है कि स्थानीय गौरी ग्राम में स्थित प्राथमिक विद्यालय में तैनात हेड मास्टर Headmaster का रवैया इतना खराब है कि वह स्कूल आती नही और स्कूल की चाभी भी किसी को नही दिए है। ऐसे में बीती 17 फरवरी कोे पूरे स्कूल समय के दौरान ताला लटका रहा। विद्यालय में तैनात दो सहायक शिक्षक व शिक्षामित्र सहित रसोईयां व बच्चे स्कूल के बाहर ही खडे रहे किंतु स्कूल का ताला नही खुला। जिसके चलते शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। हेड मास्टर का रवैया इसी तरह का बना हुआ है जिससे बच्चों की पढाई प्रभावित हो रही है। शिकायत करने वालों में आशीष शुक्ल, नीरजकुमार, मिथलेश कुमार पवन शुक्ल, जगदीश शंकर, कल्लू तिवारी आदि शामिल रहे।