कम प्रसार वाले अखबार में विज्ञापन अभ्यर्थियों से अन्याय : हाई कोर्ट



इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि कम प्रसार वाले समाचार पत्रों में भर्ती विज्ञापन प्रकाशित कराना उस पद के उम्मीदवारों के साथ अन्याय है। इस प्रकार के विज्ञापन संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 की मूल भावना के विपरीत हैं।

"यह टिप्पणी मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने देवरिया के इंटर कालेज पिंडी में लिपिक रवि प्रताप मिश्र की विशेष अपील खारिज करते हुए की है। अपीलार्थी के अनुसार विद्यालय प्रबंध समिति ने लिपिक भर्ती का विज्ञापन एक कम प्रसार वाले स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित कराया था जिसके बाद उसे चयन समिति ने लिपिक पद पर विधिवत नियुक्त किया था। डीआइओएस ने इस आधार पर वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने से मना कर दिया था कि लिपिक भर्ती का विज्ञापन कम प्रसार वाले समाचार पत्र में प्रकाशित कराया गया है। इसे चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की गई, लेकिन एकल पीठ ने विज्ञापन को अवैध मानते हुए राहत प्रदान नहीं की । अपील पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि याची को कम प्रसार वाले समाचार पत्र में दिए गए विज्ञापन के आधार पर नियुक्त किया गया है। संबंधित समाचार पत्र का राज्य में व्यापक प्रसार नहीं है। विज्ञापन प्रदेश स्तरीय अखबार में दिया जाना चाहिए था। इस कारण इस पद के अन्य भावी उम्मीदवारों को समान अवसर नहीं मिल पाया। खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को सही ठहराते हुए विशेष अपील खारिज कर दी।