PRIMARY KA MASTER : दूसरे जनपद में कार्यरत शिक्षिका के प्रमाणपत्रों पर नौकरी कर रही प्रधानाध्यापक बर्खास्त

देवरिया। सलेमपुर विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर की प्रधानाध्यापक सविता शुक्ला को फर्जी प्रमाणपत्रों पर नौकरी करने के आधार पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। वह बरेली जनपद के विकास खंड भुता के प्राथमिक विद्यालय चंदोखा छेदा के प्रमाणपत्रों पर यहां नौकरी कर रही थी।



बीएसए संतोष कुमार राय ने सोमवार को बताया कि परिषदीय स्कूलों में फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेज के आधार पर कार्यरत शिक्षकों की जांच के क्रम में सविता शुक्ला प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर विकास खंड सलेमपुर का नाम एसटीएफ की ओर से चिह्नित 76 संदिग्ध अध्यापकों की सूची में अंकित था। इसके बाद उनके शैक्षिक दस्तावेज का सत्यापन कराने की प्रक्रिया शुरू हुई। एसटीएफ को भी उसके शैक्षिक प्रमाणपत्रों को उपलब्ध कराया गया। जांच के क्रम में पता चला कि सविता शुक्ला ने हाईस्कूल अनुक्रमांक 0402606 वर्ष 1994 में एवं इंटर अनुक्रमांक 221493 वर्ष 1996 में रामभरोसे लाल गर्ल्स इंटर कॉलेज, बरेली से उत्तीर्ण किया है। उस कॉलेज से इसके अंकपत्रों का सत्यापन कराया गया तो वहां के प्रधानाचार्य ने अवगत कराया कि छात्र पत्रावली एवं स्थानांतरण प्रमाण पत्र के अनुसार पता सविता शुक्ला पुत्री ओमप्रकाश शुक्ला निवासी गुलाबनगर अपोजिट गौरीशंकर मंदिर बरेली अंकित है। इस पते पर एसटीएफ फील्ड इकाई बरेली में नियुक्त आरक्षी को भेजा गया तो पता चला कि सविता शुक्ला के पिता की मृत्यु हो चुकी है तथा सविता शुक्ला वर्तमान में सहायक अध्यापक के पद पर प्राथमिक विद्यालय चंदोखा छेदा विकास खंड भुता जनपद बरेली में नियुक्त हैं। इस संबंध में बीएसए बरेली से वहां की शिक्षिका की नियुक्ति के संबंध में जांच आख्या मांगी गई तो पता चला कि सलेमपुर में तैनात शिक्षिका के शैक्षिक दस्तावेज, अंकपत्र में नाम, पिता का नाम, रोल नंबर, जन्मतिथि, प्राप्तांक, पूर्णांक सभी समान हैं। कई चरणों की जांच में यह पुष्ट हुआ है कि सलेमपुर की शिक्षिका बरेली जनपद में उसी नाम व कूटरचित शैक्षिक प्रमाणपत्रों के आधार पर जून वर्ष 2011 में चयनित होकर फर्जी तरीके से देवरिया में छद्म नाम से नियुक्त है। उन्होंने कहा कि शिक्षिका को कई बार स्पष्टीकरण देने के बावजूद भी उसने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। अध्यापक सेवा नियमावली तथा विभागीय नियमों के तहत उसे सेवा से बाहर किया जाता है तथा संबधित बीईओ को उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई के लिए निर्देश दिए गए हैं।