लापरवाही: शिक्षकों को खुद लानी पड़ रही किताबें

कंदवा। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से जारी निर्देशों में बच्चों को निशुल्क दी जाने वाली किताबें स्कूल तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं लेकिन बरहनी विकास खंड में शिक्षकों को संकुल से निजी खर्च पर किताबें उठाना पड़ रही हैं जबकि सरकार द्वारा किताबें पहुंचाने के लिए विभाग को लाखों रुपये किराया दिया जाता है।



 ऐसे में शिक्षकों में काफी रोष है। शिक्षकों का कहना है कि उनको आठ से 10 किलोमीटर तक किताबें ले जानी पड़ रही हैं। महानिदेशक बेसिक शिक्षा की ओर से जारी निर्देश में कहा गया था कि बच्चों की किताबें उनके स्कूल तक पहुंचाई जाएं लेकिन अधिकारियों की मनमानी के चलते ऐसा नहीं किया जा रहा है। शिक्षक पहले पूरे दिन किताबों को छांटते हैं, फिर उनके बंडल बनाते हैं। इसके बाद अपना किराया खर्च कर किताबों को स्कूल ले जाकर बच्चों को बांटते हैं। शिक्षकों का कहना है कि बच्चों की किताबों के बंडल ले जाने में उनको पूरे रास्ते परेशानी का सामना करना पड़ता है। बरहनी ब्लॉक में 136 परिषदीय व 12 सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल सहित कुल 148 विद्यालयों में निशुल्क किताबें पहुंचाई जानी हैं। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ बरहनी के अध्यक्ष अच्युतानंद त्रिपाठी ने बताया कि इस संबंध में महानिदेशक बेसिक शिक्षा विजय किरन आनंद को भी ईमेल किया गया था लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इससे शिक्षकों को विवश होकर किताबें अपने खर्च पर खुद लानी पड़ रही हैं।