पेंशन पर टेंशन लेकिन - एक करोड़ पंखे और 20 लाख इलेक्ट्रिक चूल्हे होंगे वितरित


अगले लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार देश के 1.20 करोड़ गृहणियों को साधने की तैयारी में है। इसके लिए देशभर के एक करोड़ घरों में बहुत ही कम बिजली खपत वाले पंखों और 20 लाख इलेक्ट्रिक चूल्हों का वितरण किया जाएगा। वैसे यह स्कीम सरकारी अपनी सरल ईईएसएल की है, जो बिजली मंत्रालय के तहत लागू की जाएगी। शुक्रवार को बिजली मंत्री आरके सिंह ने इनसे जुड़े दो कार्यक्रमों के बारे में बताया जो आम जनता को लुभाने में वैसी ही भूमिका निभा सकता है, जैसी पीएम उज्वला रसोई गैस योजना ने निभाई थी। इस योजना का एक मकसद यह भी है कि देश में बिजली की खपत बढ़ाई जाए। खास तौर पर जिन घरों को अभी-अभी बिजली कनेक्शन दिया गया है, वहाँ बिजली से चलने वाले पंखे व चूल्हे का प्रयोग बढ़े।



बिजली मंत्री सिंह ने कहा कि ई-कुकिंग देश के गरीबों के लिए। खाना पकाने की लागत को और कम कर देगा। अभी अधिकांश घरों में गैस से खाना पकाया जाता है। । यह बहुत महंगा नहीं है, लेकिन रणनीतिक दृष्टिकोण से दूसरे देशों की ऊर्जा पर निर्भर रहना सही नहीं है। यह एक बड़ा कारण है कि भारत को घरेलू स्रोत वाले ऊर्जा संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए ।। कुकिंग को बिजली आधारित बना कर यह काम किया जा सकता है। नई तकनीक से इलेक्ट्रिक चूल्हा भी दूसरे चूल्हे की तरह कुशल बन | चुका है। विकसित देशों में बड़े पैमाने पर इसका उपयोग किया जाता है। चूंकि देश के अधिकांश घरों में अब बिजली कनेक्शन लग चुका है

इसलिए इसका प्रयोग अब ज्यादा आसान है। रसोई गैस सिलेंडर की तरह इसे कुछ अंतराल पर बदलने का झंझट भी नहीं है। इस उद्देश्य से ही नेशनल एफिशिएंट कुकिंग प्रोग्राम लांच किया गया है। इसके तहत जो कुकिंग स्टोव दिया जाएगा, 1 वह बाजार मूल्य से 30 प्रतिशत तक सस्ता होगा। शुरुआत में ईईएसएल 20 लाख ऐसे कुकिंग स्टीव खरीदने जा रही है। राज्य सरकारें चाहें तो सब्सिडी देकर आम जनता के लिए इन्हें खरीदना और आसान बना सकती हैं। इसी तरह से देशभर में



एक करोड़ घरों को पंखे भी दिए जाएंगे, जो कम बिजली खपत करेंगे। शुरुआत में ईईएसएल 20 लाख पंखे खरीदने जा रही है। भारत का पंखा बाजार करीब 10,500 करोड़ रुपये का है और इसमें 200 कंपनियों के उत्पाद हैं। माना जा रहा है कि ईईएसएल की तरफ से इतनी बड़ी संख्या में पंखों की खरीद से इनकी लागत कम करने में मदद मिलेगी और दूसरी कंपनियां भी कम बिजली खपत वाले पंखों के निर्माण के लिए आगे आएंगी।