कोरोना महामारी से उबरने के बाद भारत से उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में एकाएक बढ़ोत्तरी हुई है। विदेश मंत्रालय का आकलन है कि इस समय करीब 15 लाख छात्र विदेशों में पढ़ रहे हैं।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार इन छात्रों द्वारा विदेशों में शिक्षा पर जो राशि खर्च की जा रही है वह करीब चार लाख करोड़ तक पहुंचने वाली है जो भारत सरकार के शिक्षा के बजट के तकरीबन चार गुने के बराबर है।
सोवियत देशा की ओर रूझान विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए जाने वाले छात्रों का आंकड़ा देखें तो 2019 तक उनकी संख्या करीब 10 लाख थी। 2023 में यह बढ़कर 15 लाख हो गई है।
कुछ समय पूर्व आई इंडियन स्टूडेंट मोबिलिटी रिपोर्ट 2023 के अनुसार 2025 तक ऐसे भारतीय छात्रों की संख्या 20 लाख तक पहुंच जाएगी। चार देशों अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया में सर्वाधिक भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं। हालांकि यूरोप और पूर्व सोवियत देशों में भी उनका रुझान बढ़ रहा है।
सालाना 25 लाख रुपए का खर्च एक आंकलन के अनुसार एक भारतीय छात्र साल में पढ़ाई और फीस पर औसतन 25 लाख रुपए खर्च करता है। अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों में यह राशि इससे कम नहीं है बल्कि अधिक ही हो सकती है। हालांकि पूर्व सोवियत देशों या भारत के पड़ोसी देशों में यह राशि थोड़ा कम होती है लेकिन अनुमान है कि मौजूदा 15 लाख छात्रों में से 90 फीसदी छात्र यूरोप और उपरोक्त चार देशों में पढ़ रहे हैं। इस अनुमान के आधार पर करीब तीन लाख 75 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष भारतीय छात्र खर्च कर रहे हैं। जबकि पिछले साल शिक्षा मंत्रालय का कुल बजट एक लाख करोड़ के करीब था।
करीब-करीब यही आकलन इंडियन स्टूडेंट मोबिलिटी रिपोर्ट भी पेश करती है। उसके अनुसार, यह राशि 3 लाख 85 हजार करोड़ के करीब होने का अनुमान है। रिपोर्ट कहती है 2022 में भारतीय छात्रों ने विदेशों में शिक्षा पर 47 अरब डालर खर्च किए जो 2025 में 70 अरब डालर तक पहुंचने का अनुमान है।
1. विदेशों में बसना
2. विदेशों में नौकरी हासिल करना
3. उच्च स्तरीय शिक्षा हासिल करना
4. देश में शीर्ष संस्थानों में प्रवेश नहीं मिलना
● भारत से 2022-23 के दौरान करीब पांच लाख छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए। जबकि भारत आने वाले छात्रों की संख्या महज 50 हजार के करीब रही।
● कई देश भारतीय छात्रों को लुभा रहे हैं। फ्रांस ने भारतीय छात्रों को डिग्री पूरी करने के बाद पांच साल तक देश में रहने का वीजा देने का ऐलान किया है। ब्रिटेन ने एक साल के वीजा को बढ़ाकर दो साल किया है। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने वहां बसने के लिए नीतियों को सरल बनाया है।
● अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालयों के राजस्व अर्जित करने का बेहतरीन स्रोत भारतीय छात्र बनते जा रहे हैं। यदि भारतीय छात्र नहीं जाएं तो इन देशों में कई सरकारी विवि का भी संसालन मुश्किल हो सकता है।
● सभी देशों में काफी छात्र फैलोशिप और स्कॉलरशिप से भी निशुल्क शिक्षा हासिल करने के लिए जाते हैं जो पूरी तरह से प्रतियोगिता के आधार पर चुने जाते हैं।
● शिक्षा ऋण की सहज उपलब्धता के चलते मध्यम वर्ग में भी बच्चों को विदेश में पढ़ाने का चलन बढ़ा है।