शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता साफ
शिक्षक पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता पर कोर्ट का फैसला
परिषदीय शिक्षकों की पदोन्नति में टीईटी की अनिवार्यता को लेकर हाईकोर्ट के निर्णय से छह साल बाद पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर हर साल शिक्षा मंत्रालय की प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में पदोन्नति का वादा तो करते थे लेकिन आज तक इस मसले का हल नहीं हो सका था। इसके चलते प्रयागराज समेत विभिन्न जिलों में 2009 के बाद से नियुक्त शिक्षकों की पदोन्नति फंसी थी और प्रदेशभर के हजारों स्कूल प्रभारी प्रधानाचार्यों के सहारे चल रहे थे।
हाईकोर्ट के आदेश से शिक्षकों की पदोन्नति हो सकेगी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की 12 नवंबर 2014 की अधिसूचना के अनुसार प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापकों के प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नति के लिए प्राथमिक स्तर की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य है। इसी प्रकार प्राथमिक स्कूल के सहायक अध्यापकों के उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक पद पर पदोन्नति के लिए उच्च प्राथमिक स्तर की टीईटी अनिवार्य है।
प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापकों व उच्च प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापकों की उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नति के लिए उच्च प्राथमिक स्तर की टीईटी उत्तीर्ण होना आवश्यक है। एनसीटीई ने 11 सितंबर 2023 को भी टीईटी की अनिवार्यता के संबंध में पत्र जारी किया था।
वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पदोन्नति में एनसीटीई गाइडलाइन की अनदेखी करने पर पिछले दिनों राज्य सरकार, भारत सरकार, बेसिक शिक्षा विभाग और एनसीटीई से जवाब मांगा था। कोर्ट का कहना था कि अध्यापक सेवा नियमावली 1981 में टीईटी को लेकर स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए।